हस्तरेखा विज्ञान में मंगल ग्रह को प्रमुख ग्रह माना गया है। व्यक्ति की कुंडली से लेकर हथेली में मंगल ग्रह की स्थिति व्यक्ति के जीवन को कई तरह से प्रभावित करती है, लेकिन इस पर्वत पर बनने वाले विभिन्न प्रकार के चिह्न मंगल ग्रह को और प्रभावित करता है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार यदि मंगल पर्वत पर कोई क्रॉस का निशान है या फिर कोई द्वीप है तो सिरदर्द, थकान, गुस्सा और स्वास्थ्य जैसी बहुत सी समस्याएं पैदा कर सकता है। मंगल पर्वत के विकसित नहीं होने की स्थिति में व्यक्ति अवसाद का शिकार हो जाता है।
हस्तरेखा विज्ञान में दो तरह के मंगल ग्रह का जिक्र है। एक उच्च मंगल और निम्न मंगल। ऊपर का मंगल यदि बुध पर्वत की ओर खिसका हो तो जातक स्वभाव उग्र का होता है। वह हमेशा अपने को एक कुशल लडाका समझता रहता है। इसके प्रभाव से ऐसे व्यक्ति के शरीर को नुकसान पहुंचने की आशंका रहती है।
कई बार ऐसे व्यक्ति को अत्यधिक चोट लगने से चीरफाड जैसी स्थितियों का सामना करना भी पड़ सकता है। इस दौरान व्यक्ति के शरीर से अत्यधिक रक्त बह सकता है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार यदि मंगल पर्वत से कोई रेखा निकलकर जीवन रेखा तक आए तो वह जीवनरेखा को जहां काटे तो उस समय तथा उम्र में उसके साथ कोई दुर्घटना घटने की प्रबल आशंका बनती है।
इस दुर्घटना में व्यक्ति के शरीर का कोई अंग भी कट सकता है। यदि मगंल पर्वत से कोई रेखा चंद्र पर्वत तक जाए तो ऐसा जातक निर्णय लेने में विलंब तथा लगातार अनियमित कार्य करने का आदी होता है। यह मंगल पर्वत यदि चंद्र पर्वत से दबा हो तो उसे सफलता ना मिलने के कारण चिड़चिड़ापन भी होता है। इस पर्वत पर कोई अशुभ चिह्न व्यक्ति को आर्थिक मुसीबतों और पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है और उसकी वाणी प्रभावित होती है।