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सरकार व याचिकाओं की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कैब पर दिया अब तक का सबसे बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ और समर्थन में दायर 142 याचिकाओं पर आज सुनवाई हुई। सरकार और याचिकाओं की तरफ से दी गई दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। कोर्ट ने असम से संबंधित याचिकाओं पर जवाब के लिए केंद्र को दो हफ्ते का वक्त दिया। इन याचिकाओं पर चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने सुनवाई की। आइए, जानते हैं कि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने क्या-क्या कहा।

1. इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने बताया कि उन्हें अभी तक 144 में से 60 याचिकाओं की ही कॉपी मिली है। हमें प्रारंभिक हलफनामा भी दायर करना है। 2. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अभी ये तय होना बाकी है कि क्या इसे संवैधानिक बेंच को भेजना चाहिए, सिब्बल ने NPR की प्रक्रिया पर सवाल भी उठाए। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले को संविधान पीठ के पास नहीं भेजा।

3. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यूपी में 40 हजार लोगों को नागरिकता देने की बात कही जा रही है, अगर ऐसा हुआ तो फिर कानून वापस कैसे होगा। उन्होंने इस प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की। सिब्बल ने भी इसी मामले पर फरवरी कोई तारीख देने की मांग की। वहीं, इंदिरा जयसिंह ने कहा कि असम से 10 से ज्यादा याचिकाएं हैं और इसको लेकर अलग आदेश जारी किया जाना चाहिए। 4. कोर्ट ने कहा कि कुछ को छोड़कर अधिकतर याचिकाओं में एक जैसी ही बात है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि सभी याचिकाओं को सुना जाएगा और इसके बाद ही अदालत कोई फैसला सुनाएगी। कोर्ट एक-दो याचिका के आधार पर कोई फैसला नहीं दे सकती है। सीजेआई ने वकीलों से असम और नॉर्थ ईस्ट से दाखिल याचिकाओं का आंकड़ा मांगा।

5. चीफ जस्टिस ने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि कोई भी प्रक्रिया वापस ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि हम ऐसा आदेश लागू कर सकते हैं, जो मौजूदा स्थिति के अनुरूप हो, हम एकपक्षीय रोक नहीं लगा सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि अंतरिम राहत पांच जजों की बेंच या संविधान पीठ दे सकती है। 6. वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने असम में एक्ट के कार्यान्वयन के संबंध में आदेश की मांग की। उन्होंने अदालत से कहा कि असम की स्थिति अलग है, पिछली सुनवाई के बाद से 40000 लोग असम में दाखिल हो चुके हैं। असम के मामले पर केंद्र ने कहा कि वे दो हफ्ते में जवाब दाखिल करेंगे। कोर्ट ने कहा कि ठीक है, फिर दो हफ्ते के बाद इसपर सुनवाई होगी।

7. कोर्ट ने कहा कि छोटे-छोटे मामलों की सुनवाई चेंबर में भी की जा सकती है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने सीएए पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं की सुनवाई से भी रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों में केंद्र को नोटिस देते हुए चार हफ्ते में जवाब मांगा। 8. सरकार ने 6 हफ्ते का वक्त मांगा था जिसका याचिकाकर्ताओं की तरफ से विरोध किया गया। कपिल सिब्बल ने कहा कि आपने पहले ही चार हफ्ते का वक्त ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को अलग-अलग कैटेगरी में बांट दिया है। उसी आधार पर इनकी सुनवाई होगी।

9. नागरिकता संशोधन कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदाय के अल्पसंख्यकों को धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। 10. इस कानून का देश के कई राज्यों में विरोध हो रहा है। विपक्ष का कहना है कि सरकार का ये कानून भेदभाव करने वाला है। इसके खिलाफ मुस्लिम संगठन में भी प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार से नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

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