• सीएमओ और डीटीओ ने प्रेस वार्ता में दी जानकारी
कानपुर। वैसे तो नाखून और बाल छोड़ कर क्षय रोग (टीबी) शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है, लेकिन पल्मनरी यानि फेफेड़े की टीबी का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक खांसने और छींकने के जरिये प्रसार होता है। ऐसे में अगर टीबी मरीज को समय से ढूंढ कर इलाज न किया जाए तो वह वर्ष में दस से पंद्रह लोगों को टीबी संक्रमित कर सकता है। अगर टीबी के लक्षण, जांच और इलाज की जानकारी जन जन तक पहुंचाई जाए तो नये मरीजों को खोज कर टीबी का उन्मूलन करना संभव होगा।
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उक्त जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन ने गुरुवार को रामदेवी स्थित अपने कार्यालय में विश्व क्षयरोग दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2025 तक क्षय रोग मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसे लेकर जनपद में कुल 26 टीबी यूनिट हैं जनपद में 1043 डॉट्स सेंटर हैं, इसमें आशा अपने सामने क्षय रोगियों को दवा खिलाती हैं। सरकारी प्रावधानों के अनुसार ही मरीज की सीबी नॉट, एचआईवी और मधुमेह की भी जांच कराई जाती है। एमडीआर टीबी (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट) की जांच के लिए चार सीबी नॉट एवं 14 ट्रूनेट जांच मशीनें हैं।
उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों को ढूंढ कर उन्हें इलाज से जोड़ना अति आवश्यक है। टीबी का सम्पूर्ण इलाज संभव है, बशर्ते मरीज बीच में दवा न बंद करें और दवा की पूरी डोज लें। बीच में दवा छोड़ देने या इलाज न करवाने से ड्रग रेसिस्टेंट टीबी हो जाता है। फिर इलाज जटिल हो जाता है।
टीबी मरीज को इलाज चलने तक 500 रुपये प्रति माह पोषण के लिए दिये जाते हैं। निजी अस्पतालों में इलाज करवाने वाले टीबी मरीज भी चिकित्सक की सहमति से सरकारी अस्पताल की सेवा प्राप्त कर सकते हैं। जिले में इस समय कुल 8040 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है । जनवरी 2023 से अब तक कुल 3657 क्षयरोगियों को चिन्हित किया जा चुका है।
जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ एपी मिश्रा ने बताया की अगर किसी को दो सप्ताह से अधिक की खांसी, रात में बुखार, पसीने के साथ बुखार, तेजी से वजन घटने, भूख न लगने जैसी दिक्कत हो तो वह संभावित टीबी रोगी हो सकता है। इन लक्षण वाले लोगों को प्रोत्साहित कर टीबी जांच करवाएं। जांच की सुविधा सरकारी प्रावधानों के अनुसार 26 टीबी यूनिट्स सहित सभी सीएचसी, पीएचसी, जिला क्षय रोग केंद्र और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध है।
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जांच में टीबी की पुष्टि होने पर तुरंत इलाज शुरू किया जाता है और मरीज के निकट सम्पर्कियों की भी टीबी जांच कराई जाती है। अगर निकट सम्पर्की में कोई टीबी मरीज मिलता है तो उसका भी इलाज कराया जाता है। निकट सम्पर्कियों में टीबी की पुष्टि न होने पर भी बचाव की दवा खिलाई जाती है।
जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया की विश्व क्षयरोग दिवस के उपलक्ष में ग्राम से लेकर जिला स्तर पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जिला क्षयरोग नियंत्रण केंद्र से क्षयरोग जागरूकता रैली निकाली जायेगी और गोष्ठी कर क्षयरोग के प्रति जागरूक किया जाएगा। प्रेसवार्ता के दौरान स्वास्थ्य अधिकारीयों सहित अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर