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पहले टीबी मरीजों को दवा, फिर शुरू करती हैं दूसरे काम

• टीबी से मुक्ति दिलाने की अहम कड़ी बने ट्रीटमेंट सपोर्टर

• पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच टीबी रोगियों के साथी बने हुए हैं ट्रीटमेंट सपोर्टर

औरैया। ब्लॉक औरैया के मोहल्ला दयालपुर की रहने वाली राजेश्वरी राजपूत ने टीबी को जड़ से समाप्त करने की मुहिम में अपना योगदान 15 साल पहले देना शुरू किया था। उनकी सुबह टीबी रोगियों को दवा खिलाने से होती है। सर्दी के मौसम में जब लोग बिस्तर से बाहर नहीं आना चाहते, ऐसे मौसम में राजेश्वरी सुबह अपने मरीजों का हालचाल लेने और उन्हें दवा देने निकल पड़ती हैं।

अपने पति और अपनी बिटिया के भरण-पोषण की जिम्मेदारी संभालने वाली राजेश्वरी बताती हैं कि वह लंबे समय से स्वास्थ्य विभाग में अपनी सेवाएं दे रही हैं, इसके बदले में कुछ पैसा मिल जाता है। राजेश्वरी ट्रीटमेंट सपोर्टर हैं। इनका काम टीबी मरीजों को समय से दवा खिलाने का है, जिसे दोनों ही लंबे अरसे से बखूबी निभा रहे हैं।

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राजेश्वरी बताती हैं कि उन्होंने वर्ष 2008 से बतौर डॉट्स प्रोवाइडर (ट्रीटमेंट सपोर्टर) का काम करना शुरू किया था। आज उन्हें इस काम को करते हुए 15 वर्ष हो चुके हैं। अब तक वह 47 टीबी रोगियों को दवा खिलाकर ठीक कर चुके हैं। वर्तमान में चार टीबी रोगियों को दवा दे रही हैं। इसमें एक मरीज एमडीआर टीबी का है।

टीबी मरीज

राजेश्वरी बताती हैं कि वह मरीजों को समय से दवा खिलाने के बाद ही दूसरे कार्य करती हैं। सुबह से घर से निकल जाती हैं। सोते हुए मरीजों को नींद से उठाकर उन्हें सवेरे ताजी हवा में घूमने को प्रेरित करती हैं। अब यह सब कुछ उनकी आदत में शुमार हो चुका है। परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ ही वह मरीजों की देखभाल में सारा वक्त निकाल देती है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाए जाने वाले विभिन्न अभियानों में सहयोग करती हैं। इसी से जो आमदनी हो जाती है, उससे परिवार का भरण-पोषण करती हैं।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ संत कुमार जनपद के ट्रीटमेंट सपोर्टर में आशा बहू, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सोशल वर्कर्स शामिल हैं। अलग-अलग श्रेणी के टीबी मरीजों को दवा खिलाने के बदले में डॉट्स प्रोवाइडर को शासन से प्रोत्साहन राशि मिलती है। छह माह का कोर्स कराने पर एक हजार रुपए और एमडीआर टीबी के मरीजों जिनका 24 माह का कोर्स होता है, उन्हें दवा खिलाने के बदले डॉट्स प्रोवाइडर को पांच हजार रुपए की राशि दी जाती है। जनपद में ऐसे प्राइवेट डॉक्टर हैं, जो अपना क्लीनिक चलाने के साथ-साथ टीबी मरीजों को दवाएं मुहैया कराते हैं।

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जिला पीपीएम समन्वयक रविभान सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी को समूल रूप से समाप्त करने की मुहिम चला रखी है। जिसके चलते जनपद में सघन टीबी रोगी खोज अभियान (एसीएफ) चलाकर मरीजों को खोजा जाता है। हाल ही में चले टीबी रोगी खोज अभियान में जनपद में कुल 81 टीबी मरीजों को चिन्हित किया गया था, जिनका उपचार शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया की जनवरी 2023 से अब तक 536 क्षयरोगी चिन्हित किये जा चुके हैं। साथ ही कहा की जिले के सभी ट्रीटमेंट सपोर्टर अच्छा कार्य कर रहे हैं, जिन्हें शासन से मिलने वाली प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

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