चीन China के जबरदस्त विरोध के बावजूद अमेरिकी नौसेना के दो युद्धपोत 28 अप्रैल को ताईवान स्ट्रेट से गुजरे। अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के प्रवक्ता कमांडर क्ले डौस ने सोमवार को यह जानकारी दी। अमेरिका ने इस जलडमरू से युद्धपोतों की फ्रीक्वेंसी को बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि विलियम पी लॉरेंस और स्टेथेम नामक डिस्ट्रॉयर युद्धपोत को ताइवान स्ट्रेट में भेजा गया। अमेरिकी पोतों का इस जलडमरूमध्य से होकर गुजरना हमारी इस प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आवाजाही को कोई नहीं रोक सकता।
China और ताईवान को अलग
चीन China और ताईवान को अलग करने वाले 180 किलोमीटर चौड़े इस जलडमरूमध्य पर चीन अपने एकाधिकार का दावा करता आया है। इस जलडमरूमध्य के साथ ही वह दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में किसी दूसरे देश की दखलअंदाजी का सख्त विरोध करता है। अमेरिका के इस कदम के बाद ताईवान को लेकर चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
देश की संप्रभुता में हस्तक्षेप को लेकर ताईवान, चीन का विरोध करता है, जबकि चीन उसे अपना हिस्सा करार देते हुए सैन्य कार्रवाई की धमकी देता है। चीन के एतराज के बावजूद पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका ने ताईवान को कई हथियार मुहैया कराए हैं। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी जहाज जलडमरूमध्य से होते हुए उत्तर की ओर रवाना हुए।
स्वतंत्र रूप से ताइवान जलडमरूमध्य से गुजरने वाले अमेरिकी जहाज इंडो-पैसिफिक रणनीति को पूरा करने के मिशन का हिस्सा हैं। मंत्रालय ने कहा कि ताइवान के सशस्त्र बलों ने पारगमन पर नजर रखी और कुछ भी आसमान्य नहीं हुआ। उधर, बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि चीन ने नौकायन पर करीब से नजर रखी और अमेरिका को अपनी चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा ताइवान का मुद्दा चीन-अमेरिका संबंधों का सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दा है।