वाराणसी। सीएम योगी आदित्यनाथ के सत्ता संभालने के बाद से बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग कमजोर हो रही है। बीजेपी के लिए सबसे बड़ी परेशानी बने कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने 27 अक्टूबर को लखनऊ में होने वाली रैली के बाद गठबंधन में शामिल रहने पर निर्णय करने की बात कहकर बीजेपी को बैकफुट पर धकेल दिया है। इसी का परिणाम है कि बीजेपी ने पिछड़ों को साधने के लिए प्रदेश स्तर का सम्मेलन आयोजित किया है।
पिछड़ा वर्ग सम्मेलन
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययनपीठ में 23 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से पिछड़ा वर्ग सम्मेलन का आयोजन किया गया है। सम्मेलन में सीएम योगी आदित्यनाथ के आने की संभावना है। सम्मेलन में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डा.महेन्द्र नाथ पांडेय, सांसद व मंत्री दारा सिंह चौहान, प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल आदि बड़े नेता इस सम्मेलन को संबोधित करने वाले हैं। इसके अतिरिक्त बीजेपी से जुड़े पिछड़ा वर्ग के अन्य नेता भी सम्मेलन में भाग ले सकते हैं।
बीजेपी के चाणक्य
लोकसभा चुनाव 2019 में पीएम नरेन्द्र मोदी को फिर से विजयी बनाने के लिए इस सम्मेलन की महत्वपूर्ण भूमिका है। राहुल गांधी, अखिलेश यादव और मायावती के संभावित गठबंधन से परेशान बीजेपी ने अब सारा फोकस दलित व पिछड़े वर्ग के वोटरों पर किया है। सीएम योगी पर जातिवाद की राजनीति करने का आरोप लगने के बाद से बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग कमजोर हो रही है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह भी इस बात को जानते हैं।
अधिकारियों की तैनाती में जिस तरह से पिछड़े व दलित वर्ग के लोगों को नजरअंदाज किया जा रहा है उससे बीजेपी के सहयोगी दल अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने भी नाराजगी जतायी थी और सभी जातियों को बराबर प्रतिनिधित्व देने की मांग की थी। इसके बाद भी स्थिति नहीं सुधरी।
पिछड़े व दलित वर्ग के वोटरों का भरोसा
कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने तो प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया। दूसरी तरफ एससी एसटी एक्ट को लेकर अध्यादेश लाने के बाद सवर्ण वोटर पहले से ही बीजेपी से नाराज चल रहे हैं। ऐसे में पार्टी के पास पिछड़े व दलित वर्ग के वोटरों का ही भरोसा शेष बचा है उनकी डूबती नैया को पार लगाने में मदद कर सकती है। बसपा व सपा से अलग होकर पिछड़े वर्ग के मतदाताओं ने बीजेपी का साथ दिया था जिसके चलते केन्द्र व यूपी में बहुमत वाली सरकार बनी है लेकिन अब स्थितियां बदल रही है। अब देखना यह बेहद दिलचस्प होगा कि बीजेपी इस तरह के सम्मेलनों के जरिये कितना समीकरण अपने पक्ष में साध पाती है।