दिग्गज टेलिकॉम कंपनी भारती एयरटेल ने पिछले दिनों किए अपने वादे के मुताबिक आज 10,000 करोड़ रुपये के एजीआर बकाये का भुगतान दूरसंचार विभाग को कर दिया है। हालांकि, अभी भी कंपनी पर 25,000 करोड़ रुपये का बकाया रह गया है। कंपनी का कहना है कि वे बकाया राशि का पूरा भुगतान 17 मार्च 2020 तक कर देगी। वहीं वोडाफोन आइडिया ने एक बयान में एजीआर का सांविधिक बकाया चुकाने का प्रस्ताव रखा। वोडाफोन आइडिया ने कहा कि कारोबार का भविष्य सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में संशोधन के लिए दायर याचिका के परिणाम पर निर्भर करेगा।
वहीं देश की सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को तल्ख लहजे में कहा, क्या इस देश में कानून नाम की चीज बची है? क्या हम सुप्रीम कोर्ट बंद कर दें? जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने यह कहते हुए वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल समेत सभी दूरसंचार कंपनियों के एमडी व सीएमडी के खिलाफ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों नहीं उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए? सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इन दूरसंचार कंपनियों के सीएमडी और एमडी को तलब करते हुए स्पष्ट तौर पर कहा, आपके पास अदालती आदेश का पालन करने का आखिरी मौका होगा और अगर वे इसमें असफल रहे तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। पीठ ने कहा, हर हालत में सभी तरह का भ्रष्टाचार रुकना चाहिए। यह आखिरी मौका है और आखिरी चेतावनी भी। पीठ ने कहा टेलीकॉम कंपनियों ने शीर्ष अदालत के आदेश का जरा भी सम्मान नहीं किया है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि वोडाफोन-आइडिया पर 1.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है और अदालत के एजीआर पर फैसले का सबसे ज्यादा असर उसी पर पड़ा है। कंपनी ने कहा, ‘वह इस बात का आकलन कर रही है कि वह सरकार को कितने पैसे दे सकती है।’ दूरसंचार विभाग को वह एजीआर बकाये का भुगतान कर पाएगी या नहीं, इस आशंका के बीच कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘कंपनी ने इस तरह से आकलन की गई राशि का अगले कुछ दिनों में भुगतान का प्रस्ताव दिया है।’ सुप्रीम कोर्ट का आदेश सार्वजनिक क्षेत्र के कई उपक्रमों के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है। इन गैर टेलिकॉम कंपनियों-गेल, ऑइल इंडिया, पावरग्रिड तथा दिल्ली मेट्रो को भी एजीआर की रकम का भुगतान करने के लिए कहा गया है।