लखनऊ। वर्तमान सरकार किसानों की आय बढ़ाने, जैविक कृषि और मोटे अनाज को प्रोत्साहन देने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण संवर्धन करने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रही है. राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल भी विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से इसके प्रति लोगों को जागरूक करती हैं. वह विश्वविद्यालयों के दीक्षान्त समारोहों में विद्यार्थियों को प्रकृति और जल संरक्षण का संदेश देती हैं. इसके साथ ही वह लोगों को मोटे अनाज के प्रति जागरूक करने के लिए शिक्षण संस्थाओं का आह्वान करती है।
राज्यपाल की उपस्थिति में शैक्षणिक क़रार
कृषि विश्वविद्यालय में वह विशेष तौर पर इन तथ्यों का उल्लेख करती हाँ. वह कृषि के विद्यार्थियों को दायित्व बोध भी कराती है. आनंदीबेन पटेल ने चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,कानपुर दीक्षान्त समारोह में भी इस ओर ध्यान आकृष्ट किया. उन्होने विद्यार्थियों से कहा कि वह अपने ज्ञान एवं कौशल का उपयोग प्राकृतिक संसाधनों के संवर्द्धन गुणवत्तापरक उत्पादन, कृषि में रोजगार सृजन करके भारत निर्माण के योगदान में करें।
राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश की कृषि क्षमताओं का उल्लेख किया. कहा कि किसानों के हित में प्रदेश एवं केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही कई योजनाओं संचालित की जा रही हैं. कृषि विद्यार्थियों को अपने अर्जित ज्ञान-विज्ञान एवं अनुसंधान से किसानों के विकास में योगदान देना चाहिए. आनन्दी बेन ने
अत्याधिक दोहन से घटती उर्वरकता और जलसंकट को भविष्य की एक गम्भीर समस्या बताया। कहा कि इण्डस्ट्री और खेती दो ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ पानी की खपत बहुत है। इन सेक्टर्स से जुड़े लोगों को जल संरक्षण के प्रति अभियान चलाकर जागरूक करना चाहिए।
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सिंचाई के लिए “पर ड्राप मोर क्रॉप” बहुत उपयोगी साबित हो रही है. जलवायु परिवर्तन से कृषि की सुरक्षा आवश्यक है.विपरीत जलवायु परिस्थितियों में भी सुरक्षित रहने वाली फसलों को प्रोत्साहन देना चाहिए. कृषि में उर्वरकों का सही प्रयोग, जैविक तथा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, कृषि भंडारण कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा इसके लिए विशेष रूप से “नमामि गंगे परियोजना” चलाई गई है। गंगा को स्वच्छ रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।
अपने सम्बोधन में राज्यपाल जी ने देश में मोटे अनाज के घटते उत्पादन और प्रयोग पर चिन्ता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि स्वास्थय की दृष्टि से इनके लाभकारी होने के कारण आज दुनियाभर में इसकी मांग बढ़ी है। उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर इसके प्रयोग के लाभ और व्यंजनों के प्रचार-प्रसार कराने को कहा।
रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री