• स्टार्टअप संवाद का दूसरा संस्करण भी रहा सफल, स्टार्टअप के अलावा ग्रासरूट स्टार्टअप ने भी अपने प्रोडक्ट का किया प्रदर्शन
• विश्वविद्यालय के इनोवेशन हब की ओर से लगातार स्टार्टअप को किया जा रहा है सपोर्ट, इन्क्युबेशन सेंटर भी निभा रहे भूमिका
लखनऊ। सरकार के आत्मनिर्भर भारत के सपने को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) न केवल पंख लगा रहा है बल्कि नवाचार और उद्यमिता को मंच और आगे बढ़ने का मौका भी दे रहा है। हाल ही में सम्पन्न हुए स्टर्टअप संवाद के दूसरे संस्करण में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आये स्टार्टअप्स ने अपने प्रोडक्ट का प्रदर्शन किया। जिसे आम से लेकर खास सभी ने सराहा। यही नहीं उन्हें आगे बढ़ने में वित्तीय सहायता का सहारा मिला तो विशेषज्ञों ने मार्गदर्शन भी किया। कुलपति प्रो जेपी पांडेय के सफल नेतृत्व और मार्गदर्शन में स्टार्टअप्स को आगे बढ़ने में हर संभव प्रयास विश्वविद्यालय की ओर से किया जा रहा है।
वित्तीय सहायता का सहारा
पिछले दो स्टार्टअप संवाद के दौरान सौ से ज्यादा स्टार्टअप ने अपने प्रोडक्ट का प्रदर्शन किया। इसमें अच्छी खासी संख्या दूर-दराज ग्रामीण क्षेत्रों के भी स्टार्टअप की रही जिन्होंने कुछ नया किया है। ऐसे स्टार्टअप को ऐसे आयोजनों से न केवल को को साबित करने का मौका मिल रहा है बल्कि वित्तीय सहायता का भी रास्ता खुल रहा है।
हाल ही में स्टार्टअप संवाद के दौरान राज्यपाल सहकुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने मिर्जापुर के ग्रासरूट स्टार्टअप राजकुमार मिश्रा के नवाचार को न केवल सराहा बल्कि मौके पर ही यस बैंक के अधिकारियों से उन्हें वित्तीय सहायता देने का निर्देश दिया। इससे अन्य स्टार्टअप भी प्रेरित हुए। वहीं इस कार्यक्रम के दौरान इन्वेस्टर्स ने भी स्टार्टअप में काफी रूचि दिखाई। कई स्टार्टअप को आगे ले जाने के लिए आर्थिक सहयोग देने का भी वादा किया है।
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जबकि कार्यक्रम के दौरान आठ स्टार्टअप को नकद पुरस्कार दिया गया। जिससे उन्हें फौरी तौर पर न केवल आर्थिक मदद मिली बल्कि आगे और गंभीरता से काम करने की प्रेरणा भी मिली। स्टार्टअप को आइडिया से स्टार्टअप और फिर उसके बिजनेस में तब्दील करने में इनोवेशन हब काफी मदद कर रहा है।
इनोवेशन हब की ओर से स्टार्टअप को विशेषज्ञों की मदद के अलावा, कोवर्किंग स्पेस, आर्थिक सपोर्ट सहित अन्य सुविधाएं मुहैया करायी जा रही हैं। इनोवेशन के पेटेंट सहित अन्य कार्यों को भी किया जा रहा है। कुल मिलाकर कहा जाए तो प्रदेश में स्टार्टअप की संस्कृति विकसित करने में ऐसे छोटे-छोटे आयोजन काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।