अलीगढ़ Aligarh मुस्लिम यूनिवर्सिटी में तस्वीरों को लेकर घमासान जारी है। मोहम्मद अली जिन्ना के बाद अब सर सैय्यद अहमद खां की तस्वीर पर विवाद खड़ा हो गया है और विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है।
Aligarh: जिन्ना के बाद अहमद खान को लेकर खडा हुआ बखेडा
अलीगढ़ Aligarh मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना साल 1875 में सर सैयद अहमद खान ने की थी, जिनकी तस्वीर को भी कैंपस से हटा दिया गया है। बता दें कि कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर ब्रिटिश राज के समय बनाया गया यह पहला उच्च शिक्षण संस्थान था।
कौन थे सैयद अहमद खान
सर सैय्यद अहमद खान हिन्दुस्तानी शिक्षक और नेता थे, जिन्होंने भारत के मुसलमानों के लिए आधुनिक शिक्षा की शुरुआत की। उनके प्रयासों से अलीगढ़ क्रांति की शुरुआत हुई, जिसमें शामिल मुस्लिम बुद्धिजीवियों और नेताओं ने भारतीय मुसलमानों को हिन्दुओं से अलग करने का काम किया और पाकिस्तान की नींव डाली। खान अपने समय के सबसे प्रभावशाली मुस्लिम नेता थे और उन्होंने उर्दू को भारतीय मुसलमानों की सामूहिक भाषा बनाने पर जोर दिया था।
मुसलमान एंग्लो ओरिएंटल से बना अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
आरम्भ में इस कॉलेज का नाम मुसलमान एंग्लो ओरिएंटल (MAO) था, जिसे बाद में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के नाम से दुनिया भर में जाना जाने लगा। इस यूनिवर्सिटी की स्थापना 1857 के दौर के बाद भारतीय समाज की शिक्षा के क्षेत्र में पहली महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया मानी जाती है।1877 में बने MAO कॉलेज को विघटित कर 1920 में ब्रिटिश सरकार की सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के एक्ट के जरिए AMU एक्ट लाया गया। संसद ने 1951 में AMU संशोधन एक्ट पारित किया, जिसके बाद इस संस्थान के दरवाजे गैर-मुसलमानों के लिए खोले गए।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) से ग्रेजुएट करने वाले पहले शख्स हिंदू थे।
- साल 1920 में एएमयू को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया।
- विश्वविद्यालय से कई प्रमुख मुस्लिम नेताओं, उर्दू लेखकों और उपमहाद्वीप के विद्वानों ने विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।
- एएमयू से ग्रेजुएट करने वाले पहले शख्स भी हिंदू थे, जिनका नाम ईश्वरी प्रसाद था।
- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शिक्षा के पारंपरिक और आधुनिक शाखा में 250 से अधिक कोर्स करवाए जाते हैं।
- विश्वविद्यालय के कई कोर्स में सार्क और राष्ट्रमंडल देशों के छात्रों के लिए सीटें आरक्षित हैं।
- औसतन हर साल लगभग 500 फॉरेन स्टूडेंट्स एएमयू में एडमिशन लेते हैं।
- यूनिवर्सिटी कुल 467।6 हेक्टेयर जमीन में फैली हुई है।
कोर्ट ने माना अल्पसंख्यक संस्थान नही
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 1967 में अजीज पाशा मामले में फैसला देते हुए कहा था कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है, लेकिन 1981 में केंद्र सरकार ने कानून में जरूरी संशोधन कर इसका अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखने की कोशिश की थी। उसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2005 में एएमयू को अल्पसंख्यक का दर्जा देने वाला कानून रद्द कर दिया और कहा कि अजीज पाशा मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही है।
एएमयू कई मुद्दों को लेकर विवादों में रहा है। हाल ही में एबीवीपी राजा महेंद्र प्रताप सिंह की जयंती एएमयू के गेट पर मनाने के लिए अड़ गया था। एबीवीपी का कहना था कि एएमयू के लिए राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी जमीन दान दी थी और उनकी जयंती मनाई जानी चाहिए। बताया जाता है कि 1929 में राजा महेंद्र प्रताप ने 3104 एकड़ जमीन इस विश्वविद्यालय को दे दी थी।
लाइब्रेरी में 1350 लाख पुस्तकों के साथ दुर्लभ पांडुलिपियां भी मौजूद
एएमयू अपनी लाइब्रेरी के लिए भी जाना जाता है। बताया जाता है कि विश्वविद्यालय की मौलाना आजाद लाइब्रेरी में 1350 लाख पुस्तकों के साथ तमाम दुर्लभ पांडुलिपियां भी मौजूद हैं। इसमें अकबर के दरबारी फैजी की फारसी में अनुवादित गीता, 400 साल पहले फारसी में अनुवादित महाभारत की पांडुलीपि, तमिल भाषा में लिखे भोजपत्र, 1400 साल पुरानी कुरान, सर सैयद की पुस्तकें और पांडुलिपियां आदि शामिल है।
इस विश्वविद्यालय से भारत और पाकिस्तान की कई दिग्गज हस्तियों ने पढ़ाई की है। इसमें भारत के पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन, पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान आदि शामिल हैं।
-दुर्गेश मिश्रा