सरकार के एक आधिकारिक आदेश में यह कहा गया है कि आयकर विभाग इंटिग्रेटेड काउंटर टैररिज्म प्लेटफार्म नेटग्रिड के तहत सीबीआई और एनआईए समेत 10 जांच और खुफिया एजेंसियों के साथ किसी भी इकाई का पैन और बैंक खाता समेत अन्य जानकारी साझा करेगा.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कहा कि परमानेंट अकाउंट नंबर, टैक्स डिडक्शन एंड कलेक्शन अकाउंट नंबर, बैंक खाते का ब्योरा, आयकर रिटर्न की जानकारी तथा स्रोत पर कर कटौती समेत द्विपक्षीय आधार पर सहमति वाली सूचना 10 एजेंसियों के साथ साझा की जाएगी.
केंद्रीय एजेंसियों के साथ सूचना का नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड के जरिये आदान-प्रदान किया जाएगा. वास्तविक समय के आधार पर इमिग्रेशन, बैंक, व्यक्तिगत करदाताओं, हवाई और ट्रेन यात्रा जैसे आंकड़े और गोपनीय सूचनाओं तक पहुंच के साथ संदिग्धों का पता लगाने और आतंकवादी हमलों को रोकने को लेकर एक मजबूत व्यवस्था की परिकल्पना की गई है.
सरकार की केंद्रीय जांच ब्यूरो, राजस्व खुफिया निदेशालय, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, मंत्रिमंडल सचिवालय, खुफिया ब्यूरो, जीएसटी खुफिया महानिदेशालय, मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, वित्तीय खुफिया इकाई और राष्ट्रीय जांच एजेंसी पूर्व में की गई कानूनी व्यवस्था के तहत वास्तविक समय पर नेटग्रिड आंकड़ा प्राप्त करने के लिए अधिकृत हैं.
आदेश के अनुसार सीबीडीटी और नेटग्रिड ताजा सूचना साझा व्यवस्था को अंतिम रूप देने के लिये सहमति पत्र पर दस्तखत करेंगे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कर विभाग और नेटग्रिड के बीच पहले से पैन संबंधी सूचना साझा करने का समझौता है.
नया कदम सभी जांच और खुफिया एजेंसियों के बीच बेहतर और गोपनीय तरीके से आंकड़े साझा करने की दिशा में पहल है, ताकि वे परिस्थिति को अच्छी तरह से समझते हुए देश के समक्ष सशस्त्र, वित्तीय या साइबर हमले का प्रभावी तरीके से मुकाबला कर सके. साल 2008 में मुंबई हमले के बाद नेटग्रिड परियोजना शुरू हुई थी. उस हमले ने इस बात को सामने लाया कि सुरक्षा एजेंसियों के पास वास्तविक समय पर महत्वपूर्ण सूचना प्राप्त करने की कोई व्यवस्था नहीं है. सुरक्षा पर मंत्रिमंडल की समिति ने 8 अप्रैल 2010 को 3,400 करोड़ रुपए की लागत वाली नेटग्रिड परियोजना को मंजूरी दी थी.