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याद किए गए युवाओं को आजाद हिन्द फौज में शामिल करने वाले अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्ल

लखनऊ गोरखा शहीद सेवा समिति के तत्वावधान में स्वतंत्रता आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्ल की 108वीं जन्म जयंती पर हजरतगंज स्थित दुर्गा भवन में यूनिवर्स पब्लिक रिलेशन एवं एम. एस. आर. हब ने एक स्मृति सभा का आयोजन किया जाएगा। इस मौके पर कई लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ शहीद दुर्गा मल्ल के चित्र पर पुष्प चढ़ाकर उनका भावपूर्ण स्मरण किया।

एमएसआर हब प्रा.लि. के निदेशक रिज़वान रज़ा ने कहा कि शहीद मेजर दुर्गा मल्ल ने अपना बलिदान देकर उत्तराखंड ही नहीं, पूरे देश का गौरव बढ़ाया। अपने प्राणों का बलिदान देकर उन्होंने आजादी के संघर्ष को धार दी। श्री रज़ा ने बताया कि भारत की स्वतंत्रता के लिए युवावस्था से ही आंदोलनों में भाग लेकर संघर्ष करना शुरू कर दिया था। अंग्रेजों के आगे सीना तानकर उन्होंने आजादी के लिए अपना बलिदान दिया। जंगे ए आजादी के संघर्ष में मेजर शहीद दुर्गामल्ल ने निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने युवाओं को आजादी के संघर्ष से जोड़ने का काम किया। शहीद दुर्गा मल्ल की देशप्रेम की भावना को युवाओं को आत्मसात करना चाहिए।

गोरखा शहीद सेवा समिति के संरक्षक रिजवान रज़ा ने शहीद मेजर दुर्गा मल्ल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि दुर्गा मल्ल ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ मिलकर सिंगापुर में आजाद हिन्द फौज का गठन किया। जिसमें दुर्गा मल्ल की बहुत सराहनीय भूमिका रही। इसके लिए मल्ल को मेजर के रूप में पदोन्नत किया गया। उन्होने युवाओं को आजाद हिन्द फौज में शामिल करने में बड़ा योगदान दिया। दुर्गा मल्ल को युद्धबंदी बनाने और मुकदमे के बाद उन्हें बहुत यातना दी गई। 15 अगस्त 1944 को उन्हें लाल किले की सेंट्रल जेल लाया गया और जहाँ 25 अगस्त 1944 को उन्हें फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया। 17 जुलाई 2004 में संसद परिसर में शहीद दुर्गा मल्ल की प्रतिमा लगाई गई। सभा का संचालन शाश्वत तिवारी (वरिष्ठ पत्रकार) ने किया।

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