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अमेरिका ने फिर दिया चीन को बड़ा झटका, चीन की 24 कंपनियों को किया बैन

अमेरिका और चीन के बीच जारी तनाव ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है. भले ही दोनों देश दावा कर रहे हो कि द्विपक्षीय बातचीत अच्छी चल रही है लेकिन अमेरिका के फैसलों से तो फ़िलहाल स्थिति अच्छी नज़र नहीं आ रही है. साउथ चाइना सी हॉन्ग कॉन्ग और ताइवान जैसे मुद्दों के बाद अब दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ व्यापार युद्ध की शुरुआत भी कर दी है. अमेरिका ने इसी क्रम में चीन की 24 कंपनियों को बैन भी कर दिया है.

दरअसल अमेरिका चीन की उन कंपनियों को निशाना बना रहा है जो की चीनी सेना के साथ सीधे तौर पर जुड़कर काम करती हैं. इस बार भी अमेरिका ने चीन की 24 कंपनियों प्रतिबंधित सूची में डाल दिया है जो चीन की सेना की मदद करती हैं. जिसके बाद ये कंपनियां अमेरिका में अपना बिजनेस नहीं कर पाएंगी. इसके अलावा इन कंपनियों और इनसे जुड़े लोगों के खिलाफ कड़ी जांच भी की जाएगी. अमेरिका ने आरोप लगाया है कि ये कंपनियां साउथ चाइना सी में ऑर्टिफिशियल द्वीप बनाकर उसके सैन्य अड्डा बनाने में सहायता करती हैं. अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में द्वीपों के निर्माण को लेकर चीन की कई बार आलोचना भी हो चुकी है. इसके अलावा समुद्री मामलों की ट्रिब्यूनल ने चीन के खिलाफ भी फैसला दिया था.

अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसियों का आरोप है कि इन कंपनियों में चीनी जासूस काम करते हैं और ये देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा साबित हो रहीं हैं. इसके आलावा साउथ चाइना सी में सुबी रीफ स्‍पार्टले द्वीप समूह को लेकर भी अमेरिका परेशान है. इस पर चीन का नियंत्रण है लेकिन वियतनाम, फ‍िल‍िपीन्‍स और ताइवान पर सूबी रीफ पर अपना दावा जताते रहे हैं. चीन ने अब साउथ चाइना सी में कई कृत्रिम द्वीप बना लिए हैं और वहां पर उसने बड़े पैमाने पर युद्धपोत, फाइटर जेट और हथियार तैनात किए हैं. पीपल्‍स डेली की ओर से जारी वीडियो फुटेज में द‍िखाया गया है कि चीनी फाइटर जेट अज्ञात फाइटर जेट का पीछा कर रहे हैं और कह रहे हैं कि इस इलाके से चले जाओ अन्‍यथा आपको मार गिराया जाएगा.

साउथ चाइना सी के 90 फीसदी हिस्से पर चीन अपना दावा करता है हालांकि इस समुद्र को लेकर उसका फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और वियतनाम के साथ विवाद है. वहीं, पूर्वी चाइना सी में जापान के साथ चीन का द्वीपों को लेकर विवाद चरम पर है. दक्षिण चीन सागर वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण है. यहां दुनिया का सबसे महंगा शिपिंग लेन है और हर साल इस रास्ते से 3.4 ट्रिलियन पाउंड का व्यापार होता है. ब्रिटेन का 12 प्रतिशत समुद्री व्यापार यानी 97 अरब डॉलर का निर्यात-आयात इसी क्षेत्र से होता है. इस क्षेत्र पर विवाद 1947 से ही है जब 1945 में जापान द्वारा सरेंडर करने के बाद चीन ने ‘नाइन-डैश’लाइन खींच दी थी. ये मुद्दा संयुक्त राष्ट्र इमं भी लंबित है.

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