राजस्थान में गहलोत सरकार चुनाव से पहले धर्म के रास्ते पर चलते हुए दिखाई दे रही है। सीएम गहलोत धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं। मंत्री-विधायक भी मंदिरों की कतार में लगे हुए है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सीएम गहलोत धार्मिक यात्राओं के जरिए बीजेपी के मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप का जवाब दे रहे हैं। चुनाव में बीजेपी को उसी के अंदाज में परास्त करना चाहते है।
आमतौर पर भाजपा कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप लगाती रही है। इस बीच, अब कांग्रेस खुद को सर्वधर्म सहिष्णु दिखाने की कोशिश में है। मंत्री शकुंतला रावत का कहना है कि मुख्य उद्देश्य मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ध्येय वाक्य सेवा परमो धर्म के माध्यम से प्रदेश में खुशहाली का परचम लहराना है।
593 मंदिरों के रंग-रोगन पर 593 लाख रुपए खर्च होंगे। देवस्थान विभाग के तहत 593 मंदिर हैं। इनके रखरखाव के लिए 593 लाख रुपए दिए गए हैं। मंदिरों का रंग-रोगन व साज-सज्जा होगी। बता दें इससे पहले गहलोत सरकार ने पुजारियों का मानदेय भी 3 हजार से 5 हजार रु. किया गया है। गोविंद देव का उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर विकास किया जाएगा। चित्तौड़गढ़ में जलझूलनी एकादशी पर सांवरिया सेठ के मेले में बस किराए में 50 फीसदी की छूट की घोषणा भी की गई है।
इसके अलावा चुनावी साल में गहलोत सरकार धर्म के रास्ते पर:अब गुरु-पुष्य संयोग पर सभी मंदिरों में पीली पताका फहराने का बड़ा निर्णय लिया है। सरकार भी त्योहारों पर कोई न कोई आयोजन कर खुद को आस्थावान जताने की कोशिशों में जुटी हुई है।
सीएम गहलोत ने डूंगरपुर स्थित सलारेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शंकर जी और उदयपुर में श्री दिगम्बर जैन ग्लोबल महासभा द्वारा आयोजित प्राकृत भवन के शिलान्यास समारोह में कार्यक्रम में शामिल होक बीजेपी को उसी के अंदाज में जवाब दिया है। राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी मंदिरों में पीली पताका फहराने का लिया फैसला लिया है।