विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित संविधान,विधाई व्यवस्था व नियमों के प्रतिष्ठित विद्वान है। उनका ज्ञान मात्र सैद्धांतिक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है,बल्कि उनका व्यवहारिक अनुभव भी गहन है। वह पांच बार विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए,एक बार विधान परिषद के सदस्य रहे,प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे, इस समय विधानसभा अध्यक्ष का दायित्व संभाल रहे है।
वह विधान सभा की बैठक में सदैव समय से पहुंचते रहे है, इस अवधि में अवकाश भी नहीं लेते थे। ऐसे में जब वह विधाई कार्यों पर कुछ कहते है तो उसका विशेष महत्व होता है। विधान सभा के बजट सत्र की समाप्ति पर उन्होंने सदस्यों को धन्यवाद दिया। कहा कि सभी दलीय नेताओं और सदस्यों ने सारगर्भित चर्चा में भाग लिया।
कार्यवाही की गुणवत्ता
हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि कार्यवाही में समयावधि ही महत्वपूर्ण नहीं होती है,बहस की गुणवत्ता और मुद्दों पर गहन विचार विमर्श की महत्ता से ही कार्यवाही का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। इस सत्र की सबसे बड़ी यह विशेषता रही है कि इस बार सदन की कार्यवाही बड़ी ही शांतिपूर्ण ढंग से और सुचारू रूप से चली। पक्ष विपक्ष की ओर से बहसें हुई। व्यवधान न के बराबर रहा। पक्ष विपक्ष का सदन के संचालन में अप्रतिम योगदान रहा।
संसदीय व्यवस्था का महत्व
हृदय नारायण दीक्षित को दुनिया के अनेक देशों के संविधानों की गहन जानकारी है। भारतीय संविधान सभा की सम्पूर्ण कार्यवाही का भी उन्होंने व्यापक अध्ययन किया है। उन्होंने कहा कि आकर्षक व्यवस्था है। जहां दुनिया में अनेकों स्थानों पर संसदीय जनतंत्र मांग के लिए आन्दोलन हो रहे है। हमारे यहां जनतंत्र लम्बे समय से चल रहा है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य होने के नाते यहां की जो परंपराएं हम विकसित करते है। उस पर अन्य विधान मण्डलों की निगाह रहती है।
उल्लेखनीय कार्य
हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि विधान सभा की कार्यवाही 18.02.2021 से प्रारम्भ हुई और दिनांक-04.03.2021 तक चली। 15 दिनों के सत्र में कुल 10 दिन सदन की बैठके हुई। जिसमें कुल 65 घण्टे 31 मिनट सदन की कार्यवाही चली। 10 दिन के उपवेशनों में अल्पसूचित प्रश्न-192, तारांकित प्रश्न-1301, अतरांकित प्रश्न-1671 प्राप्त हुए। इनमें कुछ 1311 प्रश्न उत्तरित हुए। नियम-301 की कुल 377 सूचनाएं प्राप्त हुई जिनमें से 257 स्वीकृत हुई। नियम-51 के अन्तर्गत 680 सूचनाएं प्राप्त हुई जिनमें 364 सूचनाएं स्वीकृत हुई और 316 सूचनाओं पर ध्यानाकर्षण किया गया। नियम-56 के अन्तर्गत 39 सूचनाएं प्राप्त हुई, जिनमें 11 सूचनाएं ग्राह्यता हेतु सुनी गयी और 19 पर ध्यानाकर्षण हुआ।
अन्य सूचनाओं को भी आवश्यक कार्यवाही हेतु सरकार को प्रेषित किया गया। इस सत्र में 1851 याचिकाएं प्राप्त हुई जिनमें से 1587 ग्राह्य होकर सदन में प्रस्तुत की गयी। राज्यपाल अभिभाषण पर मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष एवं दलीय नेताओं समेत 48 सदस्यों ने भाग लिया। वित्तीय वर्ष 2021-22 की बजट चर्चा में मुख्यमंत्री,नेता प्रतिपक्ष एवं दलीय नेताओं सहित 116 सदस्यों ने हिस्सा लिया। इस बजट में कुल 18 विधेयक पारित किए गये। जिनमें पक्ष विपक्ष की तरफ से महत्वपूर्ण चर्चाएं हुई। विपक्ष द्वारा अपनी मांग उठाकर तर्क प्रस्तुत किये। संसदीय कार्य मंत्री, सुरेश कुमार खन्ना ने उठाये गये प्रश्नों पर समाधान परक उत्तर दिये।
वाद-विवाद में गम्भीरता
प्रजातन्त्र में मतभेद स्वभाविक है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वाद विवाद में सभा की रूचि और गम्भीरता आकर्षण का विषय बनी रही। सभा में किसानों की समस्यायें भी पूरी गम्भीरता के साथ उठायी गयी। छुट्टे जानवरों की समस्या, गन्ना किसानों की समस्या को दूर करने की दृष्टि से विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ही गम्भीर दिखायी पड़े। विद्युत, कृषि, प्रशासन, जल आपूर्ति सहित अविलम्बनीय महत्व के तमाम प्रश्नों पर विधान सभा में गम्भीर वाद विवाद हुआ।
श्री दीक्षित ने तमाम व्यस्तताओं के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सदन में उपस्थिति की सराहना की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्यपाल अभिभाषण एवं बजट की चर्चा में उपस्थित होकर सदन में उठाये गये विषयों पर अपना विस्तृत उत्तर भाषण दिये। इसके अतिरिक्त भी समय-समय पर सदन के तमाम महत्वपूर्ण उठने वाले विषयों पर हस्तक्षेप करते हुए सदन की आशंकाओं का समाधान किया। विशेषकर किसानों के पक्ष में भारत सरकार द्वारा लाये गये बिल के बारे में विस्तार से चर्चा कर स्थिति स्पष्ट की।