ब्रोनकस नलियो में सूजन के कारण सांस लेने में ज्यादा तकलीफ होती है, अस्थमा asthma के मरीजो को मौसम बदलते समय काफी सावधान रहना चाहिये क्योंकि छोटी सी असावधानी बडी समस्या का कारण बन सकती है।
लक्षण:-
सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकडन या दर्द, खांसी या सीने में जकडन,सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आना, उलझन, आदि।
अस्थमा के प्रकार:-
बाल्यकाल अस्थमा,वयस्क अस्थमा,व्यायाम प्रेरित अस्थमा,व्यवसायिक अस्थमा।
कारण:-
पशुओं की रूसी, चूहें या तिलचटटे की एलर्जी के रूप में,खादय पदार्थ की एलर्जी के रूप में, सर्दी के मौसम में श्वसन संक्रमण ,ठंडी हवा, वायु प्रदुषण या धुम्रपान, बीटा ब्लाकर या एस्परिन आदि दवाओं का कुप्रभाव,पराग कण,पालतु जानवर, मिटटी या धुल कण सीने में संक्रमण।
जोखिम वाले कारण:-
बच्चों में:- बच्चों में जन्म के समय कम वजन या तंबाकु वाले धुऐं के संपर्क में रहने के कारण अधिकांश बच्चों में 5 वर्ष की उम्र के आसपास श्वासनली का संक्रमण के साथ सीने में घरघराहट की शुरूआत होती हैं।
एलर्जी:- वैसे लोग जो एलर्जी राइनाइटिस से पीडित है या इनमें पालतु जानवरों, पशु प्रोटिन , धूल के कण,तिलचट्टे आदि से जोखिम बढ जाता है।
जाँच और निदान:-
स्पिरोमेट्री, पीक फलो,मिथाकोलिन टेस्ट, सीटी स्कैन,सीबीसी इत्यादि
रोकथाम:- धुल धुऐं से बचे,पालतु जानवरों से दूर रहे अथवा उनकी सफाई पर विशेष ध्यान दे,घर की सफाई का ध्यान दे तथा गददा तकिया आदि की सफाई रखें, रसोईघर स्नानघर आदि की नमी को कम करें,नियमित रूप से व्यायाम करें ,फल सबज्यिों का सेवन नियमित रूप से करें,फैक्टरी के आसपास नहीं रहें,मास्क का प्रयोग करें।
होमियोपैथिक उपचार:-
होमियोपैथिक दवाओं द्वारा अस्थमा पर पुरी तरह से नियंत्रण पाया जा सकता है ।
प्रमुख दवाऐं :-
आर्सेनिक एलबम,ब्लाटा, नेट्रम सल्फ, काली सल्फ, इपीकाक, एंटिम टार्ट, संबुकस, अरेलिया, पल्सेटिला आदि।
डाॅ. प्रवीण पाठक
मो. 09450894547
बी.एच.एम.एस.,एम.डी.