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औरैया: जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जा करने के लिए भाजपा-सपा-बसपा ने झोंकी ताकत

शिव प्रताप सिंह सेंगर

औरैया। उत्तर प्रदेश के औरैया में पंचायत चुनाव तीसरे चरण यानि 26 अप्रैल को होना है, औरैया में जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित होने के कारण इस पद पर भाजपा, सपा व बसपा ने अपना कब्जा जमाने के लिए जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा के साथ उन्हें जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा व बसपा ने सभी 23 तो सपा ने 22 क्षेत्रों में अधिकृत उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।

जिले में अनुसूचित वर्ग के लिए सात क्षेत्र आरक्षित हैं जिनमें तीन अनुसूचित महिलाओं के लिए हैं। भाजपा ने काफी मंथन के बाद सातों क्षेत्रों के अलावा महिला वर्ग के लिए आरक्षित एक क्षेत्र से भी अनुसूचित जाति की महिला को अधिकृत उम्मीदवार घोषित कर आठ मजबूत अनुसूचित उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा हैं, तो सपा ने भी एक अनारक्षित क्षेत्र से अनुसूचित वर्ग का प्रत्याशी मैदान में उतार कर कुल आठ अनुसूचित वर्ग के उम्मीदवारों के साथ मैदान में उतारी है, वहीं बसपा ने एक महिला व एक अनारक्षित क्षेत्र से अनुसूचित वर्ग के उम्मीदवार उतार कर कुल नौ अनुसूचित वर्ग के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। तीनों दलों का जातीय संतुलन देखें तो ‌भाजपा ने चार दोहरे, दो कठेरिया व एक-एक दिवाकर व कोरी विरादरी का उम्मीदवार मैदान में उतारा है। तो सपा ने तीन दोहरे व एक-एक दिवाकर, कठेरिया, बेलदार, खटिक व बेरिया विरादरी का उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि बसपा ने नौ में नौ उम्मीदवार दोहरे विरादरी के मैदान में उतारे हैं।

टिकट वितरण में पिछड़ा व सामान्य वर्ग की स्थिति :- अन्य पिछड़ा वर्ग में सपा ने जहां परम्परागत मतदाता यादवों में छह व मुस्लिम समाज से दो के अलावा लोध (वर्मा/राजपूत) विरादरी से तीन एवं एक-एक पाल व गूजर पर दांव लगाया है। भाग्यनगर प्रथम क्षेत्र में दो यादव दावेदारों में सामंजस्य न बनने पर उसे फ्री छोड़ दिया है। तो भाजपा ने लोध (वर्मा/राजपूत) विरादरी से तीन एवं शाक्य, पाल, प्रजापति व यादव विरादरी से एक-एक उम्मीदवार पर दांव लगाया है।

वहीं बसपा ने भाजपा व सपा के परम्परागत मतदाताओं में सेंधमारी के लिए चार शाक्य/कुशवाहा, तीन-तीन यादव व वर्मा (लोध), दो पाल एवं एक निषाद (मल्लाह) पर दांव लगाया है। सवर्णो की बात की जाए तो सपा व बसपा ने एक-एक ब्राह्मण प्रत्याशी के अलावा क्षत्रिय, वैश्य व कायस्थ पर कोई भरोसा नहीं किया है। वहीं भाजपा ने पांच ब्राह्मण व तीन क्षत्रियों को चुनाव मैदान में उतारा है। जिससे स्पष्ट है कि जिले के सवर्ण मतदाताओं का झुकाव भाजपा की ओर अभी से देखने को मिल रहा है।

सभी दल रणनीति के साथ माहौल बनाने में जुटे :- भारतीय जनता पार्टी व समाजवादी पार्टी अपने-अपने समर्थक प्रत्याशियों को चुनाव फतह कराने के लिए रणनीति बनाने के साथ प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने के लिए क्षेत्रीय जनसम्पर्क में जोरों से जुट गये हैं। एक तरफ जहां प्रत्याशी अपनी-अपनी टोलियां बनाकर मतदाताओं के बीच जाकर अपने पक्ष में मतदान करने के लिए उनके पैरों तक पर पड़े दिखाई दे रहे हैं, तो वहीं दोनों पार्टियों के नेता नुक्कड़ सभाओं व जनसंपर्क के माध्यम से अपने-अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए पूरा जोर लगाने की तैयारी किये हैं।

भाजपा की ओर से सांसद रामशंकर कठेरिया, सांसद सुब्रत पाठक, राज्यसभा सदस्य गीता शाक्य, कृषि राज्यमंत्री लाखन सिंह राजपूत, विधायक रमेश दिवाकर, विधायक विनय शाक्य के प्रतिनिधि देवेश शाक्य, निर्वतमान जिला पंचायत अध्यक्ष दीपू सिंह, जिलाध्यक्ष श्रीराम मिश्रा, भाजपा नेत्री मंजू सिंह, भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अनिल गुप्ता, रेलवे सलाहकार वोर्ड के सदस्य नरेन्द्र त्रिपाठी, पूर्व चेयरमैन आदर्श मिश्रा आदि सक्रिय हैं, तो सपा की ओर से पूर्व राज्यमंत्री विनोद यादव कक्का, पूर्व सांसद प्रदीप यादव, पूर्व सांसद प्रेमदास कठेरिया, जिलाध्यक्ष राजवीर यादव, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मोहम्मद इरशाद आदि सक्रिय हैं। वहीं बसपा की ओर से पूर्व विधायक रामजी शुक्ला, पूर्व विधायक मदन गौतम, राम कुमार अवस्थी व जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र दोहरे आदि सक्रिय हैं। जिले में तीसरे चरण में चुनाव होने के कारण नामांकन प्रक्रिया मंगलवार 12 अप्रैल से शुरू हो चुकी है।

जिले में अध्यक्ष पद पर पांच बार सपा तो एक-एक बार बसपा व भाजपा का रहा है कब्जा :- सन् 1997 में औरैया जिले के गठन के बाद इटावा जिले से विभाजित औरैया भाग के तत्कालीन सदस्यों द्वार पहले अध्यक्ष के रूप में सपा‌ के देवीदयाल दोहरे सपा को चुना था। इसके बाद 2000 में सपा के ही चौधरी रामबाबू यादव अध्यक्ष चुने गए। जिसके बाद‌ 2005 में सीट महिला के लिए आरक्षित होने पर पहले सपा की ऊपा दोहरे और अविश्वास प्रस्ताव के बाद बसपा की शवाना बेगम अध्यक्ष चुनी गई। इसके बाद 2010 में हुए चुनाव में सपा के ही मोहम्मद इरशाद अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 2015 में हुए चुनाव में पहले सपा के राजबीर यादव और एक वर्ष बाद ही अविश्वास प्रस्ताव‌ के बाद भाजपा के दीपू सिंह अध्यक्ष चुने गए। कुल मिलाकर औरैया जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अब तक पांच बार सपा तो एक-एक बार बसपा व भाजपा का कब्जा रहा है। इस बार के चुनाव में मतदाताओं का झुकाव किस ओर रहेगा यह तो ‌02 मई को चुनाव परिणाम सामने आने के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल ‌सभी दल अपने अपने पक्ष में परिणाम आने की दलीलें दे रहे हैं।

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