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निःस्वार्थ जनसेवा के महानायक बने महान शिक्षाविद् प्रोफेसर अच्युत सामंत

ओडिशा। आदिवासी समाज के लिए दुनिया के पहले डीम्ड यूनिवर्सिटी के संस्थापक और ओडिशा के देवदूत प्रोफेसर अच्युत सामंत आज नि:स्वार्थ जनसेवा के महानायक बन चुके हैं। साल 2021 के सभी कीट-कीस-कीम्स समेत उनके समस्त निःस्वार्थ जनसेवा तथा लोकसेवा के कार्यों की समीक्षा करने से स्पष्ट होती है। कोरोन संक्रमण चरम वर्ष में भी प्रो. अच्युत,  जनसेवा और लोकसेवा करते रहे हैं।

प्रोफेसर सामंत की मानवतावादी, गांधीवादी और उदारवादी सोच 

  • ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित कीट-कीस दो विश्वविख्यात शैक्षिक संस्थानों  के संस्थापक और कंधमाल लोकसभा के सांसद
  • प्रोफेसर अच्युत सामंत का कीट डीम्ड विश्वविद्यालय एक कारपोरेट है।
  • उनका कीस डीम्ड विश्व विद्यालय, विश्व का प्रथम आदिवासी आवासीय डीम्ड विश्वविद्यालय है।
  • यह एक वास्तविक कारपोरेट सामाजिक दायित्व है।

कोरोना महामारी के दौरान pro. सामंत की भूमिका

  • वैश्विक महामारी कोरोना के दोनों चरणों (2020-2021) में उनके निःस्वार्थ की भूमिका उल्लेखनीय रही।
  • कोरोना संक्रमण के पहले चरण में ओडिशावासियों को बचाने में प्रोफेसर अच्युत देवदूत बनकर उभरे।
  • ओडिशा सरकार की अनुमति से उन्होंने सभी भारत में प्रथम निजी अस्पताल कीम्स कोविड-19 अस्पताल खोला।
  • ओडिशा में तीन-तीन जिला कोविड-19 अस्पताल खोले।
  • उन कोविड-19 अस्पतालों में कीम्स की ओर से दक्ष डाक्टर, नर्स तथा पारामेडिकल स्टाफ तैनात किया।
  • उन्होंने विश्व के प्रथम आदिवासी विद्यालय कीस के लगभग तीस हजार आदिवासी बच्चों को उनके पैतृकगृह गांव में प्रतिमाह सूखा राशन, ड्राईफ्रुट, पाठ्य-पुस्तकें तथा समस्त शैक्षिक संसाधन आदि अपनी ओर से उपलब्ध कराया।
  • अपने द्वारा स्थापित कलिंग ओडिया क्षेत्रीय चैनेल के माध्यम से उन बच्चों के लिए नियमित आनलाइन कक्षाएं आयोजित कराई।

कोरोना संक्रमणकाल में आवारा पशुओं, कुत्तों, बन्दरों को भी नियमित भोजन

2021 के कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में भी कीस के आदिवासी बच्चों के साथ-साथ कोरोना योद्धाओं, कोरोना मरीजों, जरुरतमंदों को ओडिशा के कंधमाल समेत अलग-अलग जिलों में पका भोजन, सूखा राशन तथा अन्य राहत सामग्रियां अपनी ओर से निःशुल्क उपलब्ध कराई। मंदिर के पूजकों, साधु-संन्यासियों, अनाथालयों, नेत्रहीनों तथा विधवाओं  आदि  को भी राहत सामग्रियां उपलब्ध कराई। कोरोना संक्रमणकाल में आवारा पशुओं, कुत्तों, बन्दरों को भी नियमित भोजन उपलब्ध कराया।

संसदीय क्षेत्र कंधमाल को आदर्श संसदीय क्षेत्र किया विकसित

अपने संसदीय क्षेत्र कंधमाल को आदर्श संसदीय क्षेत्र विकसित करने में जुटे सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत ओडिशा के अविभाजित कटक जिले के कलराबंक गांव में जनवरी, 1965 में जन्मे प्रोफेसर अच्युत सामंत घोर आर्थिक संकट रुपी कीचड से उत्पन्न, ऐसे कमल हैं जिनके यशस्वी तथा तेजस्वी व्यक्तित्व की खुशबू को पूरी दुनिया अपना रही है। उनके वास्तविक जीवन-दर्शनः आर्ट आफ गिविंग को सारा विश्व स्वेच्छापूर्वक प्रतिवर्ष 17 मई को मना रहा है। वैश्विक महामारी कोरोना काल में भी पूरे विश्व ने प्रोफेसर अच्युत सामंत को अपना-अपना रोल मॉडल मानकर यह दिवस मनाया।

सदा दूसरों की मदद करने में विश्वास करते हैं प्रोफेसर अच्युत सामंत

सरल, सहज, आत्मीय, मृदुल तथा मिलनसार स्वभाव के धनी प्रोफेसर अच्युत सामंत सदा दूसरों की मदद करने में विश्वास करते हैं। वे पूरी तरह से आध्यात्मिक जीवन जीते हैं। वे संतों के संत हैं। आदिवासी समुदाय और उनके बच्चों के लिए जीवित मसीहा बन चुके हैं। इसीलिए प्रोफेसर सामंत तथा उनके द्वारा स्थापित कीट-कीस-कीम्स को देखने के लिए पूरे विश्व से सैकडों नामी शिक्षाविद्, आध्यात्मिक धर्मगुरु, वैज्ञानिक, नोबेल पुरस्कार विजेता, राजनेता, राजनयिक, समाजसेवी, कारपोरेट जगत के भामाशाह, होनहार युवा, शोधकर्ता, खिलाडी, फिल्मी हस्तीगण तथा फिल्मनिर्मातागण भुवनेश्वर आते हैं। 1987 में उत्कल विश्वविद्यालय से रसायनविज्ञान में एम.एस.सी. करने वाले तथा सामाजिक विज्ञान में डाक्टरेट करने वाले प्रोफेसर अच्युत सामंत ने मात्र 22 साल की उम्र से ही अध्यापन का कार्य आरंभ किया जिनके पास आज कुल 33 वर्षों का लंबा शिक्षण का अनुभव है।

कीट डीम्ड विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर के सबसे कम उम्र के संस्थापक कुलाधिपति हैं प्रो. सामंत

वे कीट डीम्ड विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर के सबसे कम उम्र के संस्थापक कुलाधिपति हैं। विश्व के प्रथम आदिवासी आवासीय कीस डीम्ड विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर के संस्थापक कुलाधिपति हैं। वे 2018-19 में राज्यसभा के बीजू जनतादल सांसद मनोनीत हुए। उसके उपरांत कंधमाल लोकसभा बीजू जनतादल सांसद निर्वाचित हुए। अपने बाल्यकाल में अनाथ, गरीब, बेसहारा बालक अच्युत सूखे पत्ते बटोरने में अपनी मां की मदद करके तथा अपनी विधवा मां को अपना पहला गुरु मानकर  लीफ टेकर से भारतीय संसद में नीति-निर्धारक असाधारण व्यक्तित्व बन चुके हैं। टोकियो ओलंपिक में कीट की ओर से तीन ओलंपियन भेजने वाले प्रोफेसर अच्युत सामंत ने कीट-कीस परिसर में समस्त अत्याधुनिक खेल संसाधनों से युक्त अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के अनेक खेल स्टेडियम बना रखा है जहां पर प्रतिदिन कोई न कोई गेम अवश्य ओयोजित होता है।

10 अक्तूबर, 2021 प्रोफेसर अच्युत सामंत के जीवन का एक यादगार दिन सिद्ध हुआ जब भारतीय संस्कृति सम्वर्द्धक ट्रस्ट, संदीपनि विद्यानिकेतन, पोरबन्दर, गुजरात ने अपने अनोखे कार्यक्रम- सर्विस टू सोसायटी कार्यक्रम में –विश्व विख्यात रामायणी परम संत परमपाद भाई रमेशभाईजी ओझा के कर-कमलों द्वारा उन्हें पुरस्कृत किया गया। अपनी प्रतिक्रिया में प्रोफेसर अच्युत  प्रोफेसर अच्युत सामंत ने बताया कि उनके विदेह जीवनयापन का मूलमंत्र- “मानव-सेवा ही माधव सेवा है”। उनकी निःस्वार्थ संवाओं के लिए 2015 में उन्हें बहरीन का सर्वोच्च शांति नागरिक सम्मान गुस्सी सम्मान प्रदान किया गया। 1970 से सच्चे मानवतावादी हैं प्रोफेसर अच्युत सामंत। 2018 के बाद से उन्होंने कीट-कीस-कीम्स के माध्यम से असाधारण तरक्की की है।

Report – Anshul Gaurav

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