बदायूं की जिस जामा मस्जिद पर नीलकंठ महादेव मंदिर का दावा अदालत में पेश किया गया है। उस परिसर में देश की पहली महिला मुस्लिम शासक रजिया सुल्तान का जन्म हुआ था। जहां वादी व अधिवक्ता अपना पक्ष मजबूत करने की कोशिश में लगे हैं, तो वहीं इंतजामिया कमेटी मुकदमा निरस्त कराने की कोशिश में है। सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दो बजे के बाद फाइल पेश हो सकती है।
जामा मस्जिद के मामले में दोनों पक्ष न्यायालय पहुंच गए हैं। अभी इस मामले में सुनवाई नहीं हुई है बताया जा रहा है कि 1:30 बजे से लंच कर दिया गया था। दो बजे के बाद इसमें फाइल पेश हो सकती है। इसके अलावा सिविल बार की हड़ताल भी है।
इतिहासकारों के मुताबिक रजिया सुल्ताना पहली महिला मुस्लिम शासक थीं। उसने 1236 ईसवी से 1240 तक दिल्ली सल्तनत पर शासन करते हुए गद्दी संभाली थी।
रजिया ने पर्दा प्रथा खत्म करते हुए मुंह खोलकर दरबार में बैठने से लेकर युद्ध तक लड़ा था। रजिया सुल्ताना की कैथल में डकैतों से मुठभेड़ के दौरान मौत की बात कही जाती है। क्योंकि उस वक्त सेना ने रजिया का साथ छोड़ दिया था।
इससे पहले दोनों पक्षों के अधिवक्ता लगभग 11 बजे सिविल बार पहुंचे। 11:15 बजे इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता असरार अहमद सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में पहुंच गए। इसके बाद कमेटी के अधिवक्ता बाहर निकल आए।