आज के दौर में महिलाएं किसी से कमतर नही हैं यह साबित कर दिखाया है बांग्लादेश की एक महिला रिक्शा चालक ने। बांग्लादेश की ये महिला उन महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी,जो महज घर की चार दीवारों के बीच खुद को कैद कर अपना जीवन बसर करने को मजबूर हैं। वैसे तो कोई भी काम छोटा या बड़ा नही होता है। लेकिन उस काम की एहमियत और अधिक तब बढ़ जाती है जब असाधारण सा लगने वाले काम को कोई साधारण सी महिला पूरा करके दिखा दे।
बांग्लादेश की मोसम्मत जैसमीन आज ऐसी महिलाओं के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं,जो सरहदों से लेकर ऊँचे आसमान में बेपरवाह होकर उड़न भर रही है। मोसम्मत जैसमीन के मुताबिक 6 साल पहले उनका पति एक दूसरी महिला चक्कर में पड़कर उन्हें व उनके बच्चों को छोड़कर चला गया था। जिसके बाद से अपने बच्चों की जिम्मेदारी उन्होंने अपने कन्धों पर ले ली। जैसमीन समाज की परवाह किए बगैर रिक्शा चलाकर अपना व अपने 3 बच्चों की परवरिश अकेले ही कर रही हैं। वह पिछले 5 सालों से रिक्शा चलाकर अपने परिवार की हर जरूरतों को पूरा करने की हर संभव कोशिश करती हैं।
जिस समय मोसम्मत सड़क पर निकलती हैं तो इलाके के बच्चे उन्हें क्रेजी आंटी बुलाते हैं। मोसम्मत बताती है शुरुआत में उन्हें काफी परेशानी हुई। बड़े- बुजुर्गों ने इस्लाम का हवाला तक दिया, लेकिन बच्चों की परवरिश के लिए उन्होंने भीख मांगने से बेहतर रिक्शा चलना सही समझ। उन्हें मानना था कि जब भगवान ने दो हाथ दो पैर दिए हैं तो फिर वह मेहनत क्यों न करें। शुरूआत के दिनों में लोग उनके रिक्शे पर बैठने में करताते थे, लेकिन आज लोग खुशी से उनके रिक्शे में बैठना पसंद करते हैं।