लखनऊ। भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों का आधार गाँव, गाय, गंगा, गौरी, गौरैया के संरक्षण की मानसिकता पर काम करने वाले प्रदेश के सबसे युवा गंगा सेवक एवं पर्यावरणविद् मानस चिरविजय सॉंकृत्यायन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रिय वाटिका “पंचवटी” को अधिक से अधिक संख्या में रोपित करने के साथ ही अन्य धार्मिक वाटिका- पंचपल्लव, हरिशंकरी, नवग्रह, नक्षत्र, राशि वन, सप्तर्षि वन आदि रोपित करके बालक से लेकर वृद्ध तक में पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन की अलख जगा रहे हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित “वृक्षारोपण महाकुंभ” 2019 के लोगों का लोकप्रिय स्लोगन “साँसों के लिये वृक्ष” एवं मिशन 25 करोड़ वृक्षारोपण का प्रसिद्ध स्लोगन “हमारा वृक्ष, हमारा भविष्य” प्रदान करने वाले मानस का कहना है कि प्रत्येक महत्वपूर्ण अवसर की प्राथमिकता में शामिल हो पौधरोपण।आज विश्व पर्यावरण दिवस है।इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की थीम है ”
पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली “।
पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली हम सभी की सामूहिक सहभागिता से ही सुनिश्चित की जा सकती है, जिसमें “साँसों के लिये वृक्ष ” लगाने एवं “जीवन के लिये जल ” बचाने की मानसिकता पर प्राथमिकता के तौर पर कार्य करना होगा।प्रकृति के सानिध्य एवं संरक्षण में रहकर जीवन जीने की कला सीखनी होगी।यह सर्वविदित है कि बच्चों में सीखने व समझने की ललक अधिक होती है, इसलिये बच्चों में किसी भी संस्कार का बीजारोपण आसान होता है।ऐसे में यदि हम अपने बच्चों के प्रारम्भिक जीवन में पौधरोपण को उनके संस्कार का हिस्सा बना दें तो आने वाली पीढ़ियों को बेहतर व सुरक्षित भविष्य मिल जायेगा।
जितने भी महत्वपूर्ण अवसर हों उन पर पौधरोपण करके उस अवसर को यादगार बनायें, उसके साथ ही कुछ नया संकल्प लें।जिस भी स्थान पर पौधरोपण करें वहाँ इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पौधरोपण किये जाने वाले पौधे के लिये मिट्टी अनुकूल हो, पानी की व्यवस्था हो और उसके संरक्षण एवं संवर्धन की ज़िम्मेदारी स्वयं लें या किसी अन्य ज़िम्मेदार व्यक्ति को सौंपे, जब तक कि वह पौधा, वृक्ष का रूप धारण न कर ले।
विश्व पर्यावरण दिवस के पावन अवसर पर सम्पूर्ण विनम्रता के साथ आप सभी देशवासियों से यह विनम्र आग्रह है कि कोरोना महामारी कालखंड में असमय मृत्यु के आग़ोश में जाने वाले हमारे अपने एवं विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् व चिपको आन्दोलन के प्रणेता आदरणीय सुंदर लाल बहुगुणा जी की याद में पीपल, पाकड़, बरगद, गूलर, नीम, बेल, आम, आँवला, अर्जुन आदि वृक्षों में से कम से कम एक वृक्ष रोपित करके उन्हें हरित श्रद्धांजलि अर्पित करें।