लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केन्द्रीय वित्तमंत्री द्वारा प्रस्तुत बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि बजट बहुत निराशाजनक है। यह दिवालिया सरकार का इस दशक का दिवालिया बजट है। बैंक डूबे हुए है। रोजगार कहीं है नहीं। किसानों को कुछ नहीं मिला है। गन्ना किसानों का बकाया है। गरीब की जिन्दगी में कोई बदलाव नहीं आने वाला है। कई निवेशकों के वायदों के बावजूद निवेश नहीं आया है तो इन्कम टैक्स में रोजगार कहां से आएगा? सरकार के खजाने में पैसा नहीं है। उसे उधार मांगना पड़ रहा है। एलआईसी, एयर इण्डिया को बेंचना पड़ रहा है। जब सामान्य आदमी की आमदनी ही नहीं है तो इन्कम टैक्स में राहत कैसी?
श्री यादव ने कहा कि केन्द्रीय बजट में गिरती अर्थव्यवस्था को सम्हालने और रोटी-रोजगार के अवसर सृजित करने की दिशा में कोई सोच नहीं दिखती हैं। इससे जनता का भरोसा टूटा है। शेयर बाजार और सेंसेक्स में भारी गिरावट दर्ज हुई है जिसमें निवेशकों के 4 लाख करोड़ डूब गए। मंहगाई पर नियंत्रण की कोई ठोस योजना नहीं है। जब से भाजपा सरकार आई है किसानों की आय दुगनी करने की रट लगाए है लेकिन किया कुछ भी नहीं। किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है। मंहगाई और कर्ज से परेशान किसान रोज आत्महत्या कर रहे हैं।
अखिलेश यादव ने कहा कि केन्द्रीय बजट में गांवों, किसानों, श्रमिकों के साथ धोखा किया गया है। 70 प्रतिशत आबादी की भाजपा सरकार को कोई चिंता नहीं है। बेरोजगारों के हाथ फिर निराशा लगी है। कारपोरेट संस्कृति से सराबोर भाजपा से और क्या उम्मीद की जा सकती है? भाजपा नेतृत्व को न तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था का पता है और नहीं वह गांव-खेती की समस्याओं से अवगत है।
श्री यादव ने कहा कि सरकार की आमदनी घटी है और वित्तीय घाटा बढ़ रहा है। ऐसे में 5 ट्रिलियन डालर एकोनामी बनाने वाले झांसा पर झांसा देने वाले बन गए हैं। इस बजट के बाद लोगों की जिंदगी पर संकट के और बादल आ जाएंगे। भाजपा सरकार कहे चाहे जो कुछ उसके दावों के जमीन पर गिरकर ध्वस्त होने में अब ज्यादा समय नहीं लगने वाला है।