बिहार में कर्मचारियों के लिये राहतभरी खबर है. लॉकडाउन में कार्यालय से अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों को भी पूरा वेतन दिया जाएगा. इसके साथ ही लॉकडाउन में गैर हाजिर रहे संविदाकर्मियों को नहीं हटाने का निर्देश भी जारी किया गया है. सरकार ने कोरोना की सुनामी में बिहार सरकार लॉकडाउन की अवधि में गैर हाजिरी को शिथिल करते हुए अपने सभी कर्मियों को मई माह का पूरा वेतन देने का ऐलान किया है. इसके दायरे में सरकार के अस्थाई कर्मियों के अलावा संविदा और आउटसोर्सिंग के जरिए काम करने वाले कर्मियों को शामिल किया गया है.
बिहार में कर्मियों की कुल संख्या 12 लाख है. इनमें 3.44 लाख संविदाकर्मी हैं. वित्त विभाग द्वारा इसका आदेश जारी भी कर दिया गया है. आदेश की कॉपी सभी विभाग के प्रधानों के अलावा महालेखाकार और कोषागार पदाधिकारियों को दे दी गई है. इस मामले में वित्त विभाग द्वारा पिछले साल लॉकडाउन की अवधि में वेतन के लिए जारी अपने परिपत्र के पालन का आदेश दिया गया है.
इस परिपत्र के अनुसार लॉकडाउन में कर्मियों की उपस्थिति की अनिवार्यता को शिथिल कर दिया गया था. इस साल इसे मई के वेतन पर भी लागू करने का निर्देश जारी कर दिया गया है. मतलब अगर किसी कर्मी की संविदा की अवधि बची हुई है और लॉकडाउन के कारण वह कार्यालय में उपस्थित नहीं हो सका तो उसे गैरहाजिर मानकर उसके वेतन में कटौती नहीं की जा सकती है.
कार्यालय प्रधान पर छोड़ा फैसला
हालांकि ऐसे कर्मियों को वेतन देने का फैसला कार्यालय प्रधान के ऊपर छोड़ दिया गया है, जो कर्मी लॉकडाउन से पहले बिना मुख्यालय को सूचित किए बाहर चले गए हों और आवागमन सेवा बाधित रहने के कारण मुख्यालय नहीं लौट पाए हों, उन्हें वेतन देने या गैर हाजिर मानने का फैसला कार्यालय के प्रधान स्तर पर किया जाएगा. परिपत्र में संविदा कर्मियों को इस बात की भी छूट दी गई है कि बिना बताए गैरहाजिर रहने को उन्हें सेवा से हटाने का कारण नहीं बनाया जा सकता. वित्त विभाग द्वारा लिया गया फैसला सभी कर्मियों खासकर संविदा कर्मियों के लिए बहुत बड़ी राहत की खबर है.