उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है. समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने जहां चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर ‘अलोकतांत्रिक’ हथकंडा अपनाने का आरोप लगाया वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पलटवार किया.
सपा भी एक-एक सीट के लिए जोर-आजमाइश कर रही है, लेकिन प्रत्याशी चयन में कई जगह जिताऊ की जगह भरोसेमंद व टिकाऊ पर भरोसे की रणनीति भारी पड़ रही है। सपा की कई जिलों की आंतरिक खींचतान भी इस चुनाव में बाहर आ गई है। जबकि भाजपा स्थानीय खींचतान को काफी हद तक दबा ले गई है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, ‘कोविड-19 महामारी के समय अपने घरों में बैठकर सोशल मीडिया पर झूठ और भ्रम फैला कर प्रदेशवासियों को डराने वाले लोग आपदा के समय जनता से दूर रहे और अब जब वे पंचायत चुनावों में भी करारी हार के करीब हैं तो अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं.’
जानकार बताते हैं कि मुख्य रूप से प्रदेश में लड़ाई भाजपा और सपा के बीच है। पर, 50 से अधिक जिलों में सत्ताधारी दल भाजपा ने अध्यक्ष बनाने के लिए जरूरी वोटों का जुगाड़ कर लिया है। जिला पंचायत सदस्यों के प्रमाणपत्र बटोरने से लेकर उनकी रखवाली तक का इंतजाम हो गया है। पर, ये जतन कितने कारगर होते हैं, यह चुनाव नतीजे बताएंगे।