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‘सरदार पटेल की विरासत हड़पना चाहती है भाजपा, उन्होंने ही संघ पर प्रतिबंध लगाया था’, खरगे का आरोप

Ahmedabad। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने भाजपा और संघ पर सरदार पटेल की विरासत हड़पने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा और संघ देश के नायकों के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के अनुसार, सरदार पटेल की विचारधारा संघ के खिलाफ थी और उन्होंने संघ पर प्रतिबंध भी लगाया था। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक मंगलवार को गुजरात में शुरू हुई। इस दौरान अपने भाषण में सरदार पटेल ने आरोप लगाया कि सरकार सांप्रदायिक भेदभाव पैदा करके असल मुद्दों से लोगों के ध्यान भटकाना चाहती है।

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'सरदार पटेल की विरासत हड़पना चाहती है भाजपा, उन्होंने ही संघ पर प्रतिबंध लगाया था', खरगे का आरोप

‘देश के नायकों के खिलाफ रची जा रही साजिश’

मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि ‘पिछले कई वर्षों से देश के कई नायकों के खिलाफ सुनियोजित साजिश की जा रही है। कांग्रेस पार्टी के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है और ये माहौल वो लोग बना रहे हैं जिनके पास अपनी उपलब्धियों के तौर पर दिखाने के लिए कुछ नहीं है।’ उन्होंने भाजपा-आरएसएस पर हमला करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के तौर पर दिखाने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है। उन्होंने यह दिखाने की साजिश की कि सरदार पटेल और पंडित नेहरू के बीच अच्छे संबंध नहीं थे। जबकि सच्चाई यह है कि वे एक ही सिक्के के दो पहलू थे। कई घटनाएं और दस्तावेज उनके सौहार्दपूर्ण संबंधों के गवाह हैं।’

‘सरदार पटेल ने संघ पर लगाया था प्रतिबंध’

खरगे ने दावा किया कि दोनों के बीच लगभग रोजाना पत्राचार होता था। नेहरू जी सभी मामलों में उनकी सलाह लेते थे। नेहरू जी पटेल साहब का बहुत सम्मान करते थे। अगर उन्हें कोई सलाह लेनी होती तो वे खुद पटेल जी के घर जाते थे।’ उन्होंने कहा कि पटेल की विचारधारा आरएसएस के विचारों के विपरीत थी और उन्होंने संगठन पर प्रतिबंध भी लगाया था, लेकिन यह हास्यास्पद है कि आज उस संघ के लोग सरदार पटेल की विरासत पर दावा करते हैं।’ खरगे ने दावा किया कि महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने ही बाबा साहब आंबेडकर को संविधान सभा का सदस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

खुद आंबेडकर ने 25 नवंबर, 1949 को संविधान सभा में अपने अंतिम भाषण में कहा था कि ‘कांग्रेस पार्टी के समर्थन के बिना संविधान नहीं बनाया जा सकता था। लेकिन जब संविधान बनाया गया, तो आरएसएस ने गांधीजी, पंडित नेहरू, डॉ आंबेडकर और कांग्रेस की खूब आलोचना की। उन्होंने रामलीला मैदान में संविधान और इन नेताओं के पुतले जलाए।

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