कहते हैं कि दोस्ती से बड़ा कुछ नहीं होता और देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को इस बात को सच साबित कर दिया। देश का राष्ट्रपति जो तीनों सेनाओं का सुप्रीम कमांडर है, वह अगर अपने एक पुराने दोस्त को मिलने के लिए जिद करे तो, सुनकर आपको जरूर अटपटा लग सकता है लेकिन राष्ट्रपति कोविंद ने कुछ ऐसा ही किया। जो घटना ओडिशा के भुवनेश्वर में हुई है वह राष्ट्रपति की सादगी का नया उदाहरण है। राष्टप्रति कोविंद का आमना-सामना 13 साल बाद अचानक अपने उस दोस्त से हुआ जिसके साथ उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के कई उतार-चढ़ावों को देखा।
साल 2000 की दोस्ती
राष्ट्रपति का यह दोस्त कोई और नहीं बल्कि जनता दल के पूर्व सांसद बीरभद्र सिंह थे। बीरभद्र, बीजू जनता दल (बीजेडी) से साल 2000 से 2006 तक राज्यसभा के सांसद रहे थे। साल 2000 से राष्ट्रपति और पूर्व कबायली सांसद की कभी न टूटने वाली दोस्ती की शुरुआत हुई थी। बीरभद्र सिंह राष्ट्रपति से मिलना चाहते थे जो ओडिशा में उत्कल यूनिवर्सिटी के प्लैटिनम जुबली कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। 74 साल के सिंह ने राष्ट्रपति के सिक्योरिटी ऑफिसर्स से रिक्वेस्ट भी की कि उन्हें उनसे मिलने दिया जाए। लेकिन उनके इस अनुरोध को मानने से इनकार कर दिया गया। सिंह उत्कल यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र रहे हैं।
दोस्त को देखते ही की स्टेज पर बुलाने की जिद
राष्ट्रपति ने उन्हें उनकी पगड़ी से ही पहचान लिया और तुरंत उन्होंने सिंह से मिलने की इच्छा जताई। राष्ट्रपति के जोर देने पर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जो उनके पास में बैठे थे, उन्होंने सिंह को स्टेज पर बुलाया। जैसे ही सिंह डायस पर पहुंचे, दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया। दोनों खुशी-खुशी एक-दूसरे से मिले। जब राष्ट्रपति ने सिंह से पूछा कि वह राष्ट्रपति भवन क्यों नहीं आते हैं तो इस पर सिंह ने उनसे कहा कि वह उनसे मिलने जरूर आते मगर उसकी कोई वजह होनी चाहिए थी। कोविंद ने इसके बाद उन्हें राष्ट्रपति भवन आने का न्यौता दिया और फिर दोनों ने साथ में फोटोग्राफ खिंचवाईं।