नोएडा-ग्रेटर नोएडा में अधूरी आवासीय परियोजनाओं को पूरा कराने के लिए सह-विकासकर्ता (को-डेवलपर) तलाशे जाएंगे। इसके लिए दोनों प्राधिकरण डेवलपर से आवेदन मांगेंगे। को-डेवलपर के लिए शर्त यह होगी कि वे प्राथमिकता के आधार पर प्राधिकरण की बिल्डर पर बकाया रकम चुकाएंगे।
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बिल्डर न तो प्राधिकरण का पैसा दे रहे हैं और न ही अधूरी परियोजनाओं को पूरा कर रहे हैं। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद नोएडा प्राधिकरण ने बकाया देने के लिए करीब 62 बिल्डर को नोटिस जारी किए थे। इन पर करीब नौ हजार करोड़ रुपये बकाया हैं। इसमें से सिर्फ 300-400 करोड़ रुपये ही बिल्डर ने जमा किए।
इसके बाद प्राधिकरण बिल्डर के लिए रीशेड्यूलमेंट पॉलिसी लेकर आया। करीब तीन महीने तक चली पॉलिसी में करीब 10 बिल्डर ही आए। ऐसे में प्राधिकरण की ओर से योजनाएं लाने के बाद भी बिल्डर आगे नहीं आ रहे हैं। ऐसे में खरीदारों की सहूलियत के लिए प्राधिकरण एक ओर योजना लाने जा रहा है। यह योजना को-डेवलपर की होगी।
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अधिकारियों की मानें तो यह योजना आने के बाद नोएडा से ज्यादा फायदा ग्रेटर नोएडा में देखने को मिलेगा। वहां काफी संख्या में परियोजनाएं अधूरी हैं, जिनका काम बंद पड़ा है या 20-30 प्रतिशत ही काम हुआ है।
अधिकारियों ने बताया कि नोएडा में 40-45 परियोजनाएं अधूरी हैं, जिनमें 50-60 हजार फ्लैट बनने प्रस्तावित हैं। इनमें से यूनिटेक आदि बिल्डर की कुछ ऐसी परियोजनाएं हैं, जिनमें पूरी तरह काम बंद पड़ा हुआ है। इसके अलावा ग्रेटर नोएडा में 100-110 परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं।
इसमें कोई डेवलपर किसी परियोजना में वर्तमान बिल्डर का हिस्सेदार बनकर अधूरी परियोजना को पूरा कर सकता है। इससे अधूरी पड़ी परियोजना पूरी हो जाएगी और लोगों को जल्द फ्लैट मिल सकेंगे। डेवलपर के लिए शर्त होगी कि वह सबसे पहले प्राधिकरण का बकाया चुकाएगा। को-डेवलपर पॉलिसी लाने के लिए नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने तैयारी शुरू दी है। संभवत एक महीने के अंदर यह पॉलिसी आ जाएगी।