नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए राज्य भर में प्रदर्शन के खिलाफ सरकारी संपत्ती को नुकसान पहुंचाने वाले 130 उपद्रवियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश शासन ने नोटिस जारी कर अपना पक्ष स्पष्ट करने अथवा 50 लाख रुपये जुर्माने के तौर पर भरने को कहा है।
रामपुर प्रशासन ने पिछले सप्ताह नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वाले 28 लोगों को नोटिस भेजा है और सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति को हुए नुकसान को लेकर अपना पक्ष स्पष्ट करने या भुगतान करने को कहा है। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि रामपुर जिले में पुलिस प्रशासन ने लगभग 25 लाख रूपये के नुकसान का आकलन किया है। सभी लोगों को नोटिस मंगलवार को भेजा गया। पुलिस ने पहले कहा था कि नुकसान लगभग 15 लाख रूपये का है लेकिन अंतिम आकलन में यह 25 लाख रूपये निकला।
इसी तरह संभल में 26, बिजनौर में 43 और गोरखपुर में 33 लोगों को नोटिस दिया गया है। हिंसा के दौरान रामपुर में करीब 25 लाख रुपये की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। वहीं, संभल में 15 लाख और बिजनौर में 19.7 लाख का नुकसान हुआ है। वहीं, गोरखपुर में अभी अधिकारी नुकसान का आंकलन कर रहे हैं।
रामपुर के जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह ने बताया कि प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वाले 28 लोगों को नोटिस भेजा गया है। उन्हें जवाब के लिए सात दिन का समय दिया गया है। अगर उनका जवाब नहीं आता है तो सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उनसे धन की वसूली की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि रामपुर में बीते शनिवार हिंसक प्रदर्शन के दौरान 22 साल के एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो गयी थी। कई स्थानीय लोग एवं पुलिसकर्मी घायल हुए थे। पुलिस की एक मोटरसाइकिल सहित छह वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था।
पुलिस के मुताबिक रामपुर में हिंसा के सिलसिले में अब तक 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 150 से अधिक लोगों को चिन्हित किया गया है। गोरखपुर में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन में शामिल 33 लोगों को पुलिस ने नोटिस भेजा है। उनके खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी है जबकि 1000 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी एफआईआर है। पुलिस ने हिंसा में शामिल लोगों के फोटो जारी किये हैं और ऐलान किया है कि उनके बारे सूचित करने वाले को इनाम दिया जाएगा।
पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि अब तक 26 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। पुलिस की ओर से जारी फोटो के आधार पर अन्य कई लोगों को पकड़ा गया है। घर से भागे या फरार लोगों को नोटिस भेजा जा रहा है। कोतवाली क्षेत्राधिकारी वी पी सिंह ने बताया कि आरोपियों को नोटिस भेजकर संबंधित थाने पहुंचने को कहा गया है और यह भी कहा गया है कि वह गुरूवार तक अपना पक्ष रख दें। अगर वे नहीं आते हैं तो उनकी संपत्तियां जब्त की जाएंगी।
जिला प्रशासन की एक टीम ने इस बीच आज हिंसा प्रभावित रेती, नक्खास और घंटाघर इलाकों का दौरा किया और हिंसा के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान का जायजा लिया। उधर, आने वाले शुक्रवार को जुमे की नमाज के मददेनजर पुलिस प्रशासन एलर्ट है और किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए रिहर्सल भी किया जा रहा है। कानपुर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मामलों की जांच के लिए बुधवार को विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया।
कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया कि एसआईटी का नेतृत्व अपर पुलिस अधीक्षक (अपराध) करेंगे और इसमें पांच पुलिस अधिकारी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर एसआईटी का गठन किया गया है। एसआईटी को चार मामले हस्तांतरित कर दिये गये हैं, जिनमें तीन मामले बेकनगंज थाने के और एक मामला बाबूपुरवा थाने का है। अग्रवाल ने बताया कि एसआईटी दोषियों का पता लगाने के लिए आधुनिक इलेक्ट्रानिक उपकरणों का प्रयोग करेगी क्योंकि दंगाइयों ने सोशल मीडिया और व्हाटसऐप का भरपूर इस्तेमाल किया था। एसएसपी अनंत देव तिवारी ने बताया कि बेकनगंज और बाबूपुरवा के थाना प्रभारियों को एसआईटी के साथ पूर्ण सहयोग करने के लिए कहा गया है।
शनिवार को हिंसक प्रदर्शनकारियों ने यतीमखाना पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया था और पुलिस पर जमकर पथराव किया था। शुक्रवार को हुए हिंसक प्रदर्शन में दो लोगों की मौत हो गयी थी । भीड को तितर बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पडे और लाठीचार्ज करना पड़ा।
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में नागरिकता कानून के विरोध में बीते गुरूवार से ही हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गये थे। इस दौरान कम से कम 17 लोगों की मौत हो गयी । वाहनों को आग के हवाले किया गया और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लखनउ में बुधवार को उन लोगों की आलोचना की, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।