• फाइलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण और उचित प्रबंधन की मिली जानकारी
• दवा सेवन कार्यक्रम में सहयोग करने के लिए लिया संकल्प
कानपुर। जिले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर विविध प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में गुरुवार को ब्लॉक कल्याणपुर के गांव बिनौर स्थित पंचायत भवन में फाइलेरिया क्लस्टर फोरम के सदस्यों का एक दिवसीय प्रशिक्षण सत्र आयोजित हुआ।
प्रशिक्षक पाथ संस्था के रीजनल मैनेजर डॉ अनिकेत कुमार ने बताया कि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह मच्छर के काटने से होती है। दवा का सेवन करना व साफ सफाई रखना ही इसका इलाज है। उन्होंने फाइलेरिया संबंधी विभिन्न प्रकार के वीडियो दिखाकर एमडीए (दवा सेवन कार्यक्रम) और एमएमडीपी (मार्बिडीटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रीवेंशन) में करने वाले सहयोग के बारे में जानकारी दी। साथ ही व्यायाम के तरीके बताए।
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अभ्यास सत्र के दौरान प्रशिक्षण में प्रतिभागियों से बीमारी संबंधी कई जानकारी ली गयी। साथ ही भ्रांतियों के बारे में चर्चा की। फाइलेरिया दवा के सेवन के प्रति लोगों का क्या रवैया है, इस पर भी चर्चा हुयी। प्रशिक्षण में कुल 32 नेटवर्क मेंबर सहित सेण्टर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च की टीम व अन्य लोग मौजूद रहे।
फाइलेरिया नेटवर्क सागर माता समूह की सदस्य बबली ने बताया कि कि प्रशिक्षण में आकर मैंने जाना कि फाइलेरिया के प्रति जागरूकता के लिए कितनी ही संस्थाएं काम कर रही हैं। हमारे लिए भी इतने लोग काम कर रहे हैं, यह जानकर बहुत अच्छा लगा। मैं भी अपने समूह के माध्यम से प्रशिक्षण में सीखी सभी बातों को अपने गांव के लोगों को जरूर बताऊँगी।
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वहीं क्लस्टर फोरम के भिसार फ़ाइलेरिया सहायता समूह के सदस्य राजेंद्र सिंह ने फ़ाइलेरिया पर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि फ़ाइलेरिया मरीज अपने अनुभव के कारण फ़ाइलेरिया उन्मूलन अभियान में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। रोग से अपनी लड़ाई के अनुभवों को साझा कर तथा फ़ाइलेरिया पेशेंट नेटवर्क से जुड़कर रोग के प्रबंधन को समझने के कारण फ़ाइलेरिया मरीज इस रोग से ग्रसित लोगों को आसानी से पहचान कर उन्हें जागरूक कर सकते हैं।
फ़ाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित: डीएमओ
जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने बताया कि फ़ाइलेरिया उन्मूलन के लिए सामुदायिक सहभागिता को सुनिश्चित करने का प्रयास जारी है।
इसी कड़ी में गांव स्तर पर पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क के सदस्यों को मिलाकर कलस्टर फोरम बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष में एक बार चरणबद्ध तरीके से मास ड्रुग एडमिनिस्ट्रेशनका कार्यक्रम चलाया जाता है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया लाइलाज बीमारी है। इससे बचने का एकमात्र उपाय दवा सेवन है। लोग बगैर किसी डर या भ्रांति का सेवन करें। दवा पूरी तरह से सुरक्षित है। यह दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं खाना है।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर