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समय पूर्व सफल होगा आभियान

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी समस्या के समाधान की समय सीमा निर्धारित करते है। उसको हासिल करने के लिए पूरी क्षमता से प्रयास करते है। इसी क्रम में उन्होंने क्षय रोग से देश को मुक्त कराने की समय सीमा तय की है। उनका कहना था कि 2025 तक यह लक्ष्य हासिल किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्य करने का भी यही अंदाज है। उनके दिशा निर्देशन में अनेक योजनाएं तय समय सीमा से पहले ही पूर्ण की गई है। योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को क्षय रोग से मुक्त करने की दिशा में प्रयास तेज कर दिए है। World Health Organization WHO ने वर्ष 2030 तक विश्व को टी.बी. मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। जबकि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2025 तक भारत को ‘क्षय रोग मुक्त’ बनाने का संकल्प हम लोगों के सामने रखा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बीमारी से ग्रसित हर व्यक्ति को दवा पहुंचाने की व्यवस्था करने हेतु स्वास्थ्य विभाग एक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार करे। पीड़ित लोगों को ट्रेस करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग कर एक व्यापक अभियान चलाए। जिससे वर्ष 2025 के पहले उ.प्र. को हम ‘टी.बी. मुक्त’ करने में सफल हो सकें। योगी आदित्यनाथ ने इसमें सभी के सहयोग का आह्वान किया।

उन्हेंने कहा कि प्रदेश के सभी जनप्रतिनिधियों,पुलिस, शिक्षा,स्वास्थ्य व अन्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी इसमें अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना चाहिए। उन्हेंने क्षय रोग से मुक्ति के लिए इस अभियान का हिस्सा बनना चाहिए। मुख्यमंत्री ने सीतापुर से यह आभियान प्रारंभ किया। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि गण, विभिन्न विभागों के अधिकारी कर्मचारी क्षय रोग से ग्रसित एक मरीज की जिम्मेदारी लें, माह में सिर्फ दो बार यह सुनिश्चित कर लें कि वह नियमित रूप से दवा ले रहा है या नहीं,तो वर्ष 2025 से पहले हम प्रदेश को टी.बी. से मुक्त कराने में सफल हो सकते हैं।

केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन के विभागाध्यक्ष,एवं उप्र स्टेट टास्क फोर्स क्षय उन्मूलन के चेयरमैन डॉ सूर्यकांत ने एक अन्य कार्यक्रम में बताया कि  टी.बी. के इलाज में पिछले कुछ वर्षों से बहुत प्रगति हुयी है। पहले बड़ी टी.बी. या एम.डी.आर. टी.बी. के इलाज में दो साल तक का समय लग जाता था, परन्तु अब नई दवाओं जैसे-बिडाकुलीन और डेलामिनिड के आने से एक साल से कम समय में मरीज का इलाज हो जाता है।

इसके साथ ही पिछले कुछ वर्षों में एम.डी.आर. टी.बी. के रोगियों को सुई लगने वाले इलाज से मुक्ति मिली है, अब इनका इलाज खाने की गोलियों से हो जाता है।

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