नई दिल्ली। राफेल डील (Rafale Deal) मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट हलफनामा (Affidavit) दाखिल कर पुनर्विचार याचिका पर आगे सुनवाई का विरोध किया है। केंद्र ने हलफनामे में कहा है कि पुनर्विचार याचिकाओं पर आगे की सुनवाई का कोई आधार नहीं हैं, ऐसे में सभी याचिकाएं खारिज कर देने चाहिए।
गोपनीय दस्तावजों के परीक्षण के फैसले से
हलफनामे में सरकार ने कहा सुप्रीम कोर्ट के राफेल के गोपनीय दस्तावजों के परीक्षण के फैसले से रक्षा, बलों की तैनाती, परमाणु प्रतिष्ठानों, आतंकवाद निरोधक उपायों आदि से संबंधित गुप्त सूचनाओं का खुलासा होने की आशंका बढ़ गई है। हलफनामे में सरकार ने ये भी कहा है कि राफेल पुनर्विचार याचिकाओं के जरिए सौदे की चलती-फिरती जांच की कोशिश की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस आपत्ति को
सरकार ने यह भी कहा है कि सीएजी ने राफेल के मूल्य संबंधी जानकारियों की जांच की है और यह 2.86% कम है। मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश अर्टनी जनरल केके वेणुगोपाल ने जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से चार हफ्ते का समय मांगा था लेकिन कोर्ट ने शनिवार तक जवाब दाखिल करने का समय दिया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस आपत्ति को खारिज कर दिया था, जिसमें गोपनीय दस्तावेजों के आधार पर पुनर्विचार खारिज करने की मांग की गई थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस आपत्ति को खारिज कर दिया था, जिसमें गोपनीय दस्तावेजों के आधार पर पुनर्विचार खारिज करने की मांग की गई थी।
केंद्र सरकार की बिना मंजूरी के
कोर्ट ने साफ किया था कि गोपनीय दस्तावेज के आधार पर आगे पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी। सरकार ने गोपनीय दस्तावेज के आधार पर पुनर्विचार खारिज करने की मांग की थी। दरअसल, 14 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की शुरुआती आपत्तियों पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल कर कहा था कि केंद्र सरकार की बिना मंजूरी के संवेदनशील दस्तावेजों की फोटोकॉपी की गई। इन दस्तावेजोंकी अनाधिकृत फोटोकॉपी के जरिये की गई चोरी ने देश की सुरक्षा, सम्प्रभुता और दूसरे देशों के साथ दोस्ताना संबंधों को बुरी तरह प्रभावित किया है। केंद्र ने कहा था कि पुनर्विचार याचिका के साथ सलग्न दस्तावेज एयरक्राफ्ट की युद्ध क्षमता से जुड़े है।