लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि कि रावण का अहंकार भी टूट गया था, सरकार का अहंकार भी जल्दी ही टूट जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों की आवाज दबा रही है। कृषि कानून इसलिए लाया गया कि किसानों के कानूनी अधिकार छीनकर अंबानी-अडानी के हाथों में सौंप दी जाएं। गोदाम में अनाज तो होगा, पर अंबानी-अडानी इसे पचास से सौ गुणा रेट पर बेचेंगे। मोदी सरकार ने रोटी को बुनियादी जरूरत में शामिल नहीं किया। यह सरकार का अहंकार है, जिसे तोड़ना जरूरी है। आज किसान को संभालने की जरूरत है, अन्यथा सरकार उसका सारा माल लूट लेगी।
देश का किसान न्याय की आश में भटक रहा है, दर-दर की ठोकरे खा रहा है। भीख मांगने पर मजबूर हो रहा है उसे सरकार को देखना चाहिए समझना चाहिए। केंद्र सरकार को देश के किसानों का सम्मान करना चाहिए और उनके सम्मान में किसान विरोधी बिल को वापस लेना चाहिए। देश का किसान आजादी से पूर्व भी इतना प्रताड़ित नही हुआ था जितना आजादी के बाद अब उन्हें होना पड़ रहा है। देश के इतिहास में चौंधरी साहब किसानों के लिये टाटा -बिरला से लड़ते थे ,आज आज़ादी के 73 साल बाद भी क़िसानो को अपने हक़ के लिए अड़ानी-अम्बानी की मोदी सरकार से लड़ना पड़ रहा है। 73 सालो में लुटेरे पूँजीपतियों की शक्ल ही बदली है ,क़िसानो के हालात व लुटेरी सरकारों की नीयत नहीं बदली..टाटा -बिरला से अड़ानी -अम्बानी तक सब ने गरीब क़िसानो का शोषण केन्द्र सरकारों के साथ मिलकर किया।
आज ये आंदोलन किसानो का ना होकर आम जनमानस का है ,किसान तो अनाज पैदा करता है ,गुज़ारा कर लेगा परन्तु इन 3 काले क़ानूनो के बाद मध्यम वर्गीय जनता को आटा भी 200/- किलो से ज़्यादा अड़ानी -अम्बानी मोदी के साथ मिलकर बेचेंगे व चुनावों में राष्ट्रवाद ,हिंदुत्व व भारत -पाकिस्तान के नाम पर गुमराह करेंगे। देश के आम आदमी -नौजवानों को इस आंदोलन को सफल बनाकर अहंकारी केंद्र सरकार के इरादे नाकाम करने होंग़े।
किसान हमारे अन्नदाता है हम सभी को अन्नदाता का सम्मान करना चाहिए। श्री सिंह ने आगे कहा कि देश के किसानों द्वारा किसान विरोधी कृषि बिल को वापस लेने की मांग को लेकर आवाह्न किये गये भारत बंद को सफल बनाने हेतु प्रदेश के विभिन्न जनपदों में लोकदल के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने किसानों के समर्थन में प्रदर्शन किया एवं गिरफ्तारियां दी।