लखनऊ। भारत में आर्थराइटिस रोग से पीड़ित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सच्चाई ये है कि भारत इस बीमारी की राजधानी बन चुका है। उत्तर भारत में इस बीमारी से ग्रसित लोगों की संख्या काफी ज्यादा है। अगर हमने भोजन शैली में बदलाव और आरामदायक जीवनशैली का त्याग न किया तो यह बीमारी खतरनाक आंकड़ों तक पहुंच सकती है।
महिलाओं में गठिया रोग होने की संभावना अधिक
यह विचार एलीट इंस्टिट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट अस्पताल के अध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक तथा ऑथोपैडिक सर्जन डॉ. मनुज वाधवा ने शनिवार को फिक्की फ्लो द्वाराआयोजित ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम में रखे।
उन्होंने कहा कि देश में पुरुषों की तुलना में महिलाएं घुटनों के जोड़ों के दर्द का शिकार हो रही हैं।
महिलाओं में गठिया रोग होने की संभावना अधिक होती है। देश में होने वाले कुल ज्वाइंट रिप्लेसमेंट में महिलाओं की संख्या 70 प्रतिशत है। अपने 20 साल के करियर में 40000 से अधिक मरीजों के घुटनों के जोड़ बदलकर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुके डॉ. वाधवा ने कहा कि उम्र के बढ़ने के साथ हमारे जोड़ों में मौजूद कार्टिलेज घिसने लगता है।
इससे जोड़ों में असहनीय दर्द होता है। अक्सर लोग समय रहते इलाज नहीं करवाते और बाद में उन्हें चलने में परेशानी होने लगती है। आश्चर्यजनक पहलू यह है कि अब 35 से 40 आयु वर्ग के लोगों को भी घुटनों में दर्द की तकलीफ होने लगी है। देश मे 100 किलोग्राम वजन के लोगों की संख्या काफी बढ़ रही है। ज्यादा वजन से घुटनों की तकलीफ होना स्वाभाविक है।
डॉ. मनुज वाधवा ने बताया कि वर्तमान में ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के लिए फास्ट इन फास्ट आउट फीको तकनीक बेहद कारगर है। इस तकनीक के जरिए घुटने के उसी हिस्से को बदला जाता है जो पूरी तरह खराब हो चुका होता है। फीको तकनीक से पंद्रह मिनट में ऑपरेशन किया जाता है और इसमें रक्तस्त्राव भी नहीं होता। तीन घंटे बाद मरीज अपने पैरों पर चलने लगता है।
उन्होंने लोगों को सुझाव दिया कि बीमारियों से बचने के लिए अपने खान-पान की आदतों में बदलाव करें। पौष्टिक आहार जैसे जामुन, साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, नट और बीज व मछली का तेल लें, व्यायाम करने के लिए समय निकालें। नहीं तो भविष्य में आपको बीमारियां घेर लेंगी।
कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए, पूजा गर्ग चेयरपर्सन फिक्की फ्लो लखनऊ ने कहा, मेरा हमेशा से मानना रहा है कि महिलाओं का सच्चा सशक्तीकरण तभी हो सकता है जब वे मन और शरीर में स्वस्थ हों।
इस वर्ष, हमने इस कार्यक्रम को महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए और विशेष रूप जीवन शैली जनित बीमारियों के लिए समग्र और प्राकृतिक उपचार क्या हो सकते है,यह बताने का प्रयास किया है। यह इवेंट उस दिशा में एक मील का पत्थर होगा।