लखनऊ। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के पूर्व प्रमुख चौधरी अजीत सिंह (Chaudhary Ajit Singh) , जिन्हें भारत के सबसे बड़े किसान नेता के रूप में जाना जाता है, और वास्तविकता यही है, यदि कोई चौधरी साहब के जीवन को एक पंक्ति में कहना चाहे तो वो यही होगा, “IIT Graduate से लेकर प्रिय किसान नेता बनने तक का सफर!”
चौधरी अजीत सिंह विदेश में एक बेहतर भविष्य का त्याग कर जन सामान्य की सेवा का संकल्प लेकर स्वदेश लौटे थे। उनका जो कद राजनीति में रहा वो उन्होने स्वयं अर्जित किया। चौधरी साहब ने कभी भी द्वेष की राजनीति नहीं की और ना कभी इस प्रकार की राजनीति में सहयोग किया।
इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, किसान आंदोलन के दौरान जब सरकार ने राकेश टिकैत को चारों तरफ से घेर लिया था और राकेश टिकैत टूटने ही वाले थे। उस समय चौधरी अजीत सिंह ने उनको फोन कर उनका मनोबल बढ़ाया और कहा कि “मैं तुम्हारे साथ हूं, और किसान के अस्तित्व की लड़ाई के लिए हर संभव मदद करूंगा।” जनहित के लिए जो निज हित का त्याग करे वही सच्चा जननेता होता है!
6 बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा के सदस्य रहे स्व. चौधरी अजीत सिंह की सादगी, सहजता का अनुभव मैंने व्यक्तिगत रूप से किया है। कभी किसी भी मुद्दे पर चौधरी साहब की प्रतिक्रिया बड़ी गंभीर रहती थी, वो मुद्दा चाहें पंक्ति के अंतिम व्यक्ति की लड़ाई का ही क्यों ना हों।
चौधरी साहब का स्नेह, अपनापन आज भी लोगों के दिलों में घर बनाए हुए है। आज चौधरी साहब को गए हुए एक वर्ष पूर्ण हो गया, लेकिन लोग आज भी उनके साथ बिताये गए पलों को लोग भुला नहीं पा रहे हैं। रालोद नेता रोहित अग्रवाल उन्हें याद करते हुव भावुक मन से कहते हैं, “आप जहां भी होंगे अपने किरदार की खुशबू से जमाना महका रहे होंगे।” श्री अग्रवाल का मानना है कि व्यक्ति दुनियां से चले जाते हैं, लेकिन उनका व्यक्तित्व अमर हो जाता है।