अयोध्या /अम्बेडकरनगर। भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित छठ के पर्व का चौथा और आखिरी दिन ऊषा अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है। छठ पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया है।
अपराध और अपराधियों को बचाने में अधिकारियों की संलिप्तता
भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित छठ के पर्व का चौथा और आखिरी दिन ऊषा अर्घ्य के रूप में मनाया गया ।छठ पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया छठ की शुरुआत नहाय-खाय से होती है।
इसके बाद दूसरे दिन खरना होता है। तीसरा दिन संध्या अर्घ्य होता है और चौथे दिन को ऊषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ पूजा की जाती है। यह पूजा भगवान सूर्य और उनकी पत्नी ऊषा को समर्पित होती।
Please watch this video also
छठ पूजा का अंतिम और आखिरी दिन ऊषा अर्घ्य होता है।इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ के व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उदित होते सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
बहुत से बुजुर्ग पारिवारिक हिंसा के शिकार हैं!
इसके बाद सूर्य भगवान और छठ मैया से संतान की रक्षा और परिवार की सुख-शांति की कामना करती है। रामनगरी में छठ पर्व पर व्रतियों ने सरयू सलिला के विभिन्न घाटों पर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। भगवान् सूर्य व छठ माता की पूजा अर्चना किया।
गुप्तार घाट, नया घाट, लक्ष्मण घाट, सूर्य कुंड आदि स्थानों पर व्रतियों व उनके परिजन बच्चे साथी सहयोगियों की भीड़ रही। गीत संगीत की गूंज रही। इसके अलावा फैजाबाद शहर, रूदौली, सोहावल, मिल्कीपुर, बीकापुर, गोशाइंगज, में उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। सूर्य व छठ माता की पूजा की गई।ग्रामीण क्षेत्रों में भी छठ महापर्व मनाया गया।
कार्तवीर सहस्त्रार्जुन ने नर्मदा जल के प्रबल प्रवाह को रोक रावण को बनाया बंदी
अम्बेडकरनगर में जनपद मुख्यालय शहजादपुर में तमसा नदी के तट पर व्रतियों ने उगते हुए सूर्य अर्घ्य दिया। टांडा में सरयू तट पर उगते हुए सूर्य को व्रतियों ने अर्घ्य दिया। सूर्य की उपासना की एवं छठ माता की पूजा अर्चना विधि विधान से किया गया। परिवार वाले साथी सहयोगी शामिल रहे।
राजे सुल्तानपुर, रामनगर, बसखारी जलालपुर, मालीपुर, भीटी सहित ग्रामीणंचल क्षेत्रों में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया।धूमधाम से छठ पूजा मनायी गयी। जैसा कि जिन स्थानों पर नदियों के तट दूर दराज हैं। वहां तालाबों, पोखरे, व सरोवरों पर अर्घ्य देने की व्यवस्था की गयी थी। साफ सफाई किया गया था।
कुछ व्रतियों के यहाँ अर्घ्य देने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गयी थी। वह अपने घरों पर ही अर्घ्य दिया। भोर 4 बजे से ही ध्वनिविस्तारक यंत्रों से भक्ति गीत संगीत की धूम मची मची रही। लोक धुनों पर आधारित सूर्य व छठ माता के गीत बजते रहे।
रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह