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‘छेनू’ का किरदार, ‘खामोश’ डायलॉग, शत्रुघ्न ने यूनिट को दी थी अपनी एक महीने की सैलरी

शत्रुघ्न सिन्हा आज अपना 78वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनके जन्म दिन के अवसर पर आपको बताते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प और अनोखी कहानी। फैंस शॉटगन यानी शत्रुघ्न सिन्हा की फिल्मों को देखना आज भी पसंद करते हैं। ‘काला पत्थर’ उनके फिल्मी करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई थी। यह फिल्म शत्रुघ्न सिन्हा के करियर के लिए किसी वरदान से कम नही थी। अपने दौर के बेहतरीन अभिनेताओं में शुमार रहे शत्रुघ्न ने हीरो के अलावा विलेन के रोल में भी बखूबी निभाए हैं। पर्दे पर जब भी शत्रुघ्न आते तो थिएटर में ऑडियंस उनके लिए सीटियां बजाती थीं।

15 जुलाई, 1946 को बिहार के पटना में जन्में शत्रुघ्न सिन्हा का नाम भगवान राम के नाम पर रखा गया था। इसके पीछे एक रोचक और अनोखी कहानी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शत्रुघ्न सिन्हा के माता-पिता बेऔलाद थे। संतान प्राप्ति के लिए पिता भुवनेश्वरी प्रसाद सिन्हा और मां श्यामा देवी ने राम रमापति बैंक से ‘राम’ नाम का कर्ज लिया था। उसी कर्ज के आशीर्वाद से उन्हें चार पुत्र हुए, जिसमें से शत्रुघ्न सबसे छोटे बेटे हैं। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘एनिथिंग बट खामोश’ में इसका जिक्र किया है। मान्यता है कि इस अनोखे बैंक में मन्नत मांगने वाले को 1.25 लाख बार राम के नाम का लिखना होता है। यह एक साल तक करना होता है। इसके लिए बैंक में अकाउंट भी खुलवाया जाता है।

जब भुवनेश्वरी प्रसाद सिन्हा का पहला बच्चा पैदा हुआ, तो उसका नाम राम रखा गया। इसी तरह दूसरे, तीसरे और चौथे बच्चे का नाम लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न रखा। मन्नत राम नाम के आशीर्वाद से पूरी हुई थी, इसलिए बच्चों का नाम भगवान राम और उनके भाइयों के नाम पर रखा गया। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने बेटों का नाम भी ‘रामायण’ के पात्रों पर ही रखा है। उनके जुड़वा बेटों का नाम भगवान राम के बेटों लव और कुश पर ही आधारित है। यही नहीं बल्कि शत्रुघ्न सिन्हा के बगले का नाम ‘रामायण’ है।

‘जली तो आग कहते हैं, बुझे तो राख कहते हैं, जिस राख से बारूद बने उसे विश्वनाथ कहते हैं।’ शत्रुघ्न सिन्हा द्वारा बोला गया ये डायलॉग आज भी लोगों के बीच बेहद प्रसिद्ध है। 1969 में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने वाले शत्रुघ्न सिन्हा राजनीति में आने से पहले फिल्मों में खूब नाम कमा चुके हैं। एक्टिंग को लेकर उनका पैशन ही था, जिस कारण खुद में कॉन्फिडेंस न होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और बॉलीवुड में धाक जमाने के लिए लग गए कमर तोड़ मेहनत की।

शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने फिल्मी करियर में बेहतरीन फिल्में की हैं। जिनमें ‘मेरे अपने’, ‘कालीचरण’, ‘विश्वनाथ’, ‘दोस्ताना’, ‘शान’, ‘क्रांति’, ‘नसीब’, ‘काला पत्थर’, ‘लोहा’ जैसी एक से बढ़कर एक फिल्में शामिल हैं। शत्रुघ्न सिन्हा पटना साइंस कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद पुणे के ‘फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ से पढ़े। एफटीआईआई में आज भी शत्रुघ्न के नाम पर डिप्लोमा कोर्स करने वाले स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप दी जाती है। पुणे से शत्रुघ्न सिन्हा मुंबई आ गए. उन्होंने देव आनंद की फिल्म ‘प्रेम पुजारी’ में एक पाकिस्तानी मिलिट्री अफसर का किरदार निभाकर अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी।

शत्रुघ्न सिन्हा ने गुलजार की फिल्म ‘मेरे अपने’ में ‘छेनू’ का किरदार निभाया था, जो काफी प्रसिद्ध हुआ था। ‘कालीचरण’ फिल्म में काम करके शत्रुघ्न बॉलीवुड की लाइमलाइट में आए थे। ‘कालीचरण’ रिलीज होने के बाद 24 घंटे में शत्रुघ्न ने यूनिट मेंबर्स को अपनी एक महीने की सैलरी को बोनस के रूप में देने का ऐलान कर दिया था।

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