गोरखपुर। गोरखनाथ मंदिर में सुबह चार बजे से सीएम योगी ने बाबा गोरक्षनाथ की पूजा अर्चना शुरू की। 45 मिनट तक पूजा अर्चना के बाद नेपाल से आई खिचड़ी को बाबा गोरक्षनाथ को चढ़ाकर श्रद्धालुओं के खिचड़ी चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो गया। मंदिर के प्रांगण में हजारों की संख्या में श्रद्धालु खिचड़ी चढ़ाने में जुटे रहे।
भिक्षाटन की सदियों से रही है परंपरा
मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है। मान्यता है कि त्रेता युग में सिद्ध गुरु गोरक्षनाथ भिक्षाटन करते हुए हिमांचल के कांगड़ा जिले के ज्वाला देवी मंदिर गए। यहां देवी प्रकट हुई और गुरु गोरक्षनाथ को भोजन को आमंत्रित किया। वहां तामसी भोजन देखकर गोरक्षनाथ ने कहा, ‘मैं भिक्षाटन में मिले चावल-दाल को ही ग्रहण करता हूं। इस पर ज्वाला देवी ने कहा, मैं चावल-दाल पकाने के लिए पानी गरम करती हूं। आप भिक्षाटन कर चावल-दाल लाइए।’
गुरुगोरक्षनाथ यहां से भिक्षाटन करते हुए हिमालय की तराई स्थित गोरखपुर पहुंचे। उस समय इस इलाके में घने जंगल थे। यहां उन्होंने राप्ती और रोहिणी नदी के संगम पर एक मनोरम जगह पर अपना अक्षय भिक्षापात्र रखा और साधना में लीन हो गए। इस बीच खिचड़ी का पर्व आया। एक तेजस्वी योगी को साधनारत देख लोग उसके भिक्षापात्र में चावल-दाल डालने लगे, पर वह अक्षयपात्र भरा नहीं। इसे सिद्ध योगी का चमत्कार मानकर लोग अभिभूत हो गए। उसी समय से गोरखपुर में गुरु गोरक्षनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा जारी है।
दूर दराज से आते हैं लोग
इस दिन हर साल नेपाल-बिहार व पूर्वाचल के दूर-दराज के इलाकों से श्रद्धालु गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने आते हैं। पहले वे मंदिर के पवित्र भीम सरोवर में स्नान करते हैं। उसके बाद खिचड़ी चढाते हैं। यह खिचड़ी मेला पूरे माह तक चलता है। दूर दराज के इलाकों से हजारों लोगों का मंदिर में आने का सिलसिला शुरू हुआ वो पूरी रात चलता रहा। नेपाल से लेकर भारत के हजारों भक्त पूरी रात खिचड़ी चढाने के लिए पूरी रात इंतजार करते रहते हैं और इन सबका मानना है कि बाबा का आशीर्वाद इन पर हमेशा बना रहे।