लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 23वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ के तीसरे दिन आज 57 देशों से पधारे 250 से अधिक मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों व अन्य प्रख्यात हस्तियों ने एक स्वर से कहा कि यह सम्मेलन बच्चों के भविष्य व उनकी भलाई को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया जा रहा है तथापि सभी के सहयोग व प्रयास से एकता, शान्ति व सौहार्द का वातावरण बनेगा और भावी पीढ़ियों को स्वच्छ वातावरण, शान्तिपूर्ण विश्व व्यवस्था एवं सुरक्षित भविष्य का अधिकार अवश्य मिलेगा।
इस ऐतिहासिक सम्मेलन के अन्तर्गत आज पूरे दिन की परिचर्चा व विचार-विमर्श के उपरान्त गणमान्य अतिथियों के सम्मान में ‘साँस्कृतिक संध्या’ का आयोजन आज सायं इन्दिरा गाँधी प्रतिष्ठिान के ज्यूपिटर हॉल में किया गया। इस अवसर पर देश-विदेश से पधारे अतिथियों को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि सीएमएस के 60,000 बच्चों की मुहिम विश्व परिदृश्य पर रचनात्मक असर डालेगी। उन्होंने सीएमएस को इस पुनीत प्रयास हेतु बधाई दी।
सम्मेलन के तीसरे दिन आज सीएमएस कानपुर रोड ऑडिटोरियम में सम्पन्न हुई न्यायविद्ों की चर्चा-परिचर्चा में विभिन्न देशों के न्यायविदों व कानूनविदों ने सारगर्भित विचार रखते हुए विश्व के ढाई अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य के अधिकार का पुरजोर समर्थन किया। इस अवसर पर इण्टरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट, नीदरलैंड के सेकेण्ड वाइस-प्रेसीडेन्ट, डॉ एंटोनी केसिया-एमबी मिंडुआ ने कहा कि शिक्षा बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करती है और उन्हें विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों एवं चुनौतियों से निपटने की क्षमता प्रदान करती है। शान्ति के अभाव में बच्चों का भविष्य सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है।
डिविनो रोबर्टो वेरिसिनो, प्रेसीडेन्ट, ओ.पी.ओ ब्राजील ने कहा कि हमें स्वार्थरहित प्रेम की आवश्यकता है। हमें आगे बढना है, विश्व मानवता ने बहुत कुछ सहा है। हैती के पूर्व प्रधानमंत्री जीन हेनरी सेन्ट ने अपने संबोधन में कहा कि हमें यह समझना एवं स्वीकार करना होगा कि विश्व को बचाना ही पर्याप्त नहीं है। बच्चों की सुरक्षा, पर्यावरण की रक्षा, सामाजिक न्याय, समानता, एकजुटता आदि मुद्दों को प्राथमिकता देना होगा।
इस अवसर पर सोमालिया सुप्रीम कोर्ट के जज, न्यायमूर्ति अब्दिकादिर इदिरिस एसा, नाइजीरिया सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति ओलुकायोदे अरिवूला, अंगोला सुप्रीम कोर्ट के प्रेसीडेन्ट, जस्टिस डॉ जोएल लियोनार्डाे एवं जमैका सुप्रीम कोर्ट की जज न्यायमूर्ति सोनिया एंजेला बर्ट्राम लिंटन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। आज ‘ग्लोबल सिटीजनसिप एजूकेशन-रोल इन एचीविंग द सस्टेनबल डेवलपमेन्ट गोल्स’ थीम पर शिक्षाविदों, न्यायविदों व कानूनविदों की विशेष परिचर्चा भी सम्पन्न हुई। परिचर्चा में रूस की टूमेन यूनिवर्सिटी के रेक्टर प्रो. इवान सर्गीविच रॉमनचुक बतौर मुख्य अतिथि सम्मिलत हुए। यह परिचर्चा सीएमएस संस्थापक डा. जगदीश गाँधी के संयोजकत्व में सम्पन्न हुई, जिसका संचालन डा. शिशिर श्रीवास्तव, हेड, इण्टरनेशनल रिलेशन्स ने किया। परिचर्चा में बोलते हुए रूस की टूमेन यूनिवर्सिटी के रेक्टर प्रो. इवान सर्गीविच रॉमनचुक ने कहा कि मुझे विश्वास है कि यह सम्मेलन विश्व के देशों को नई विश्व व्यवस्था के मुकाम पर पहुँचायेगा।
उन्होंने विश्व के नेताओं का आहवान करते हुए उन्होंने कहा कि हाथ से हाथ मिलाएं और ऐसा विश्व बनाएं जहाँ शांति व एकता का साम्राज्य हो और हमारे बच्चे सुरक्षित रह सके। दक्षिण अफ्रीका की स्टेलनबॉश यूनिवर्सिटी के चांसलर न्यायमूर्ति एडविन कैमरून ने कहा कि हमें सोचना है कि किस प्रकार इस राजनैतिक परिवेश को विश्व शांति की स्थापना के लिए इस्तेमाल किया जाए ताकि बच्चों व आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस परिचर्चा में टर्की के येडीटेप यूनिवर्सिटी के वाइस-डीन डा. आर. बारिश इर्मान, प्रो. तैस्या पेगोडावा, हेड ऑफ डेवलपमेन्ट प्रोग्राम, टूमेन यूनिवर्सिटी, रूस एवं सीएमएस संस्थापिका-निदेशिका डा. भारती गाँधी समेत कई शिक्षाविद्ों ने अपने विचार व्यक्त किये। परिचर्चा के उपरान्त सीएमएस प्रेसीडेन्ट प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इसके अलावा, इस ऐतिहासिक अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के तीसरे दिन आज 57 देशों से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों ने विभिन्न पैरालल सेशन्स में जमकर चर्चा परिचर्चा की। जहाँ एक ओर ‘क्रिएटिंग कल्चर ऑफ यूनिटी एण्ड पीस’ थीम के अन्तर्गत ग्लोबल सिटीजनशिप एजूकेशन, क्रास कल्चरल अण्डरस्टैंडिग, यूनिटी एण्ड को-एक्जिस्टेन्स ऑफ रिलीजन, इण्टरफेथ डायलॉग, रोल ऑफ सिविल सोसाइटी आदि विषयों पर चर्चा हुई तो वहीं दूसरी ओर ‘स्टैब्लिशिंग रूल ऑफ लॉ’ थीम के अन्तर्गत क्रिएशन ऑफ वर्ल्ड पार्लियामेन्ट टु इनैक्ट इन्फोर्सेबल वर्ल्ड लॉ, लिमिटेशन्स आफ इण्टरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस एण्ड इण्टरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट, रिलेशनशिप बिटवीन इण्टरनेशनल लॉ एण्ड डोमेस्टिक लॉ आदि विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ।
‘ह्यूमन राइट्स’ थीम के अन्तर्गत वायलेन्स इन एण्ड अगेन्स्ट चिल्ड्रेन, राइट्स ऑफ चिल्ड्रेन एवं राइट्स ऑफ वोमेन एण्ड जेण्डर इक्वलिटी आदि विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। इसी प्रकार ‘ग्लोबल गवर्नेन्स स्ट्रक्चर’, ‘टैकलिंग ग्लोबल इश्यूज’, एवं ‘सस्टेनबल डेवलपमेन्ट’ आदि विषयों एवं उप-विषयों पर जमकर विचारों का आदान-प्रदान हुआ। विभिन्न पैरालल सेशन्स में डा. पकालिथा बी. मोसिलिली, पूर्व प्रधानमंत्री, लेसोथो, न्यायमूर्ति जोआओ एंटोनियो बैप्टिस्टा बीराओ, डेप्युटी चीफ जस्टिस, मोजाम्बिक, न्यायमूर्ति जमीरबेक बाज़ारबेकोव, प्रेसीडेन्ट, सुप्रीम कोर्ट, किर्गिज रिपब्लिक, न्यायमूर्ति कमल कुमार, चीफ जस्टिस, हाईकोर्ट, फिजी आइसलैण्ड, न्यायमूर्ति जोसेफा विकेंटा इजागा पेलेग्रिन, जज, सुपीरियर कोर्ट, पेरू, न्यायमूर्ति मिगुअल फर्नाडिंज, जज, सुप्रीम कोर्ट, कोस्टारिका, न्यायमूर्ति सुश्री त्वाम्बो एस. मुसोन्दा, जज, हाईकोर्ट, जाम्बिया, न्यायमूर्ति त्सोलमोन दशखू,जज, सुप्रीम कोर्ट, मंगोलिया, न्यायमूर्ति डान ग्रेगरी, जज, कोर्ट ऑफ अपील, गुयाना, आदि कई न्यायविदों व कानूनविदों ने अपने विचार रखे।