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25 फरवरी को होगी गौ विज्ञान परीक्षा 

लखनऊ। गाय के बारे में लोगों को कितनी जानकारी है? इसको लेकर अब फरवरी के महीने में परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने कहा है कि देशी गायों और इसके फायदे के बारे में छात्रों और आम लोगों के बीच रुचि पैदा करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। 25 फरवरी को यह परीक्षा होगी और यह स्वैच्छिक ऑनलाइन गौ विज्ञान परीक्षा होगी।

इस तरह की अपने आप में पहली परीक्षा का ऐलान करते हुए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) के अध्यक्ष वल्लभभाई कथीरिया ने कहा कि वार्षिक तरीके से परीक्षा का आयोजन होगा। बिना किसी शुल्क के कामधेनु गौ विज्ञान प्रचार प्रसार परीक्षा में प्राथमिक, माध्यमिक और कॉलेज स्तर के छात्र और आम लोग हिस्सा ले पाएंगे। ऐसे में अगर आप भी इस परीक्षा को देने का विचार कर रहे हैं तो गाय के बारे में अपना ज्ञान भी जांच लें। यहां जानिए गाय से जुड़े 10 खास बातें…

  • राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के सिलेबस के अनुसार गाय का गोबर एंटी रेडिएशन होता है। इसे घर लाने से वह जगह भी रेडिएशन फ्री हो जाती है। वैज्ञानिक रूप से भी इस बात की पुष्टि की गयी है।
  • वैज्ञानिकों का कहना है कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन लेता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है। जबकि इंसान के साथ अन्य प्राणी ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बनडाई ऑक्साइड छोड़ते हैं।पेड़-पौधे कार्बनडाई ऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं।
  • देशी गाय के गोबर में जीवाणु की भरमार होती है। देशी गाय के एक ग्राम गोबर में कम से कम 300 करोड़ जीवाणु पाए जाते हैं।
  • गाय का दूध काफी गुणकारी माना जाता है. इसमें 7 एमीनोएसिड प्रोटीन पाया जाता है। इससे हड्डियों का रोग नहीं होता है।
  • गाय के दिल की धड़कन एक मिनट में 60 से 70 होती है।
  • गाय के पास पेट एक ही होता है। हालांकि उसमें चार तरह से डाइजेस्टिव कंपार्टमेंट होते हैं।
  • गाय के केवल नीचले जबड़े में ही दांत पाए जाते हैं।
  • लाल और हरे रंग में गाय फर्क नहीं कर सकती है।
  • इंसान की सुनने की शक्ति से ज्यादा बेहतर गाय की सुनने की शक्ति होती है।
  • गाय का सामान्य तापमान 101.5°F होता है।
  • काटते समय गाय की चीत्कार से उठने वाली लहरों का असर चट्टानों पर पड़ता है और इनसे भूकम्प की सम्भावना बढ़ जाती है।

गाय के गोबर से हानिकारक गैसों का असर या तो कम हो जाता है या फिर समाप्त हो जाता है। आयोग के सिलेबस के अनुसार 1984 मे भोपाल गैस त्रासदी के दौरान करीब 20 हजार लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन जिन घरों में गोबर से लिपाई की गई थी वहाँ जहरीली गैसों का कोई असर नहीं हुआ था। लोग जहरीली गैस के असर से बच गये थे।

सिलेबस में कहा गया है कि देसी गाय बलशाली होती हैं और इतनी बुद्धिमान होती हैं गन्दी जगहों पर नहीं बैठती हैं। जबकि जरसी गाय कहीं भी बैठ जाती हैं। जरसी गाय हाइजनिक नहीं होती हैं और संक्रमण को जल्दी आकर्षित कर लेती हैं।

 दया शंकर चौधरी

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