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दुर्दान्त अपराधी राजनैतिक और प्रशासनिक संरक्षण की देन: डाॅ. मसूद अहमद

लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने दुर्दान्त अपराधी विकास दुबे इनकाउण्टर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि इन डबल इंजन की सरकारों में न्यायपालिका की प्रासंगिकता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। क्योंकि मुकदमा दर्ज करने से लेकर निर्णय सुनाने का कार्य प्रदेश सरकार अपनी सरकारी मशीनरी के माध्यम से कर रही है।

डाॅ. अहमद ने कहा कि अपराधियों को सजा देने का दायित्व न्यायपालिका के न्यायाधीषों के हाथों में भारतीय संविधान के अनुसार होता है। अपराध जगत की निष्पक्षता के साथ समीक्षा करके देखा जा सकता है कि दुर्दान्त अपराधी राजनैतिक और प्रशासनिक संरक्षण की देन होते हैं। पुलिस अधिकारियों द्वारा इस प्रकार से एनकाउंटर कर देने से संरक्षण देने वाले लोगो के चेहरे बेनकाब होने से बच जाते हैं।

प्रदेश के मुख्यमंत्री सरकार गठन होने के बाद से ही प्रदेश पुलिस को ठोकने की खुली छूट दे रखी है। विकास दुबे के अपराधिक षड़यंत्र के फलस्वरूप प्रदेश पुलिस के आठ पुलिसकर्मियों को शहीद कर दिया था जिसकी सम्पूर्ण देश में निंदा एवं भर्त्स्ना की गयी थी। परन्तु यह निश्चित है कि यदि उससे निष्पक्षता के साथ पूछताछ की जाती तो अनेको सफेदपोशों और भ्रष्ट अधिकारियों के चेहरे सामने आ जाते। साथ ही न्यायपालिका के माध्यम से अपराधी विकास दुबे को कड़ी से कड़ी सजा सरकार अपनी न्यायिक पैरवी करके दिला सकती थी। वह सजा भी अन्य अपराधियों के लिए मिशाल हो सकती थी।

रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने मांग की कि पुलिसकर्मियों के शहीद होने से लेकर विकास दुबे के एनकाउंटर तक की सम्पूर्ण घटना की जांच मा. सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से करायी जाय ताकि प्रदेश की जनता के सामने विकास दुबे जैसे अन्य लोगों के चेहरे जनता के सामने बेनकाब हो सके।

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