देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर का कहर जारी है। अब इसका सबसे ज्यादा असर भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में दिखना शुरू हो गया है। बीते दिनों देश के 8 राज्यों में कोरोना के मामलों में बढ़त दर्ज की गई है। इनमें से 6 राज्य उत्तर-पूर्व के हैं। उसमें भी सबसे ज्यादा बुरे हालात असम में नजर आ रहे हैं। ऐसे में सरकार राज्य में जागरूकता के साथ-साथ दूसरी लहर के प्रभाव को कम करने की भरसक कोशिशों में जुटी हुई है।
असम में बीते महीने कोरोना संक्रमण के मामलों में इजाफा शुरू हो गया था। राज्य में कुल मरीजों की संख्या 3 लाख 75 हजार 404 पर पहुंच गई है। फिलहाल जानकारों ने आशंका जताई है कि देश के किसी अन्य हिस्से की तुलना में असम में संक्रमण के मामले कुछ ज्यादा तेजी से बढ़ सकते हैं। हाल ही में संपन्न हुए चुनाव और राजनीतिक रैलियों को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
देश के दूसरे समृद्ध राज्यों के अस्पतालों की हालत को देखकर असम में अब अधिकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की तैयारी में जुटे हैं। राज्य के नेशनल हेल्थ मिशन के निदेशक डॉक्टर लक्षमणन एस ने बताया कि हम हर हफ्ते एक हजार बेड बढ़ा रहे हैं। असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि 15 जून तक गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में 200 आईसीयू बेड बढ़ाए जाएंगे। राज्य के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ICU बेडों की संख्या 220 हो गई है। इसके अलावा अस्पतालों की पार्किंगमें 200 बेड की व्यवस्था कर रहे हैं। 430 बेड के साथ फुटबॉल और क्रिकेट के मैदानों को अस्पताल बना दिया है। गुवाहाटी की रॉयल ग्लोबल यूनिवर्सिटी को 1 हजार बेड वाले अस्पताल में तब्दील किया गया है।
राज्य में संक्रमण लगातार बढ़ते मामलों के बीच वैक्सिनेशन के आंकड़ों में गिरावट आ रही है। पहले इन इलाकों में कोविड-19 की इतनी मौजूदगी नहीं थी लेकिन अब ऐसा लगता है कि वायरस दूर-दराज के इलाकों में भी फैल रहा है। अरुणाचल प्रदेश में जिला अस्पताल में चिकित्सकों की माने तो सीमित मेडिकल व्यवस्थाओं के बाद सबसे ज्यादा बिजली कटौती ने डराया है। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन सप्लाई के लिए बिजली जरूरी है। लेकिन बिजली की आवाजाही ने यहां मरीजों का संकट बढ़ा दिया है।