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आपदा राहत के प्रकल्प

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

राष्ट्रीय स्वयं संघ की शाखाओं में सहज रूप से राष्ट्रभाव का संस्कार मिलता है। यही प्रेरणा उन्हें आपदा के समय राहत कार्य में सक्रिय करती है। कोरोना संकट के समय भी संघ के स्वयं सेवक पूरे देश में जरूरतमंदों की सहायता कर रहे है। संघ की प्रेरणा से सेवा के राष्ट्रव्यापी प्रकल्प चल रहे है। सुदूर वनवासी व पिछड़े क्षेत्रों में एकल विद्यालय बिना किसी सरकारी सहायता के संचालित है। उसके अट्ठाइस हजार से ज्यादा केंद्र है। जिनमें करीब आठ लाख छात्र-छात्राएँ शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

विश्व हिन्दू परिषद के माध्यम से अलग पच्चीस हजार से ज्यादा एकल विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। उसके माध्यम से बनाए गए देश के प्रमुख सौ ट्रस्ट व करीब साढ़े तीन हजार शिक्षा केन्द्र करीब डेढ़ हजार चिकित्सालय, करीब तीन हजार नैमैतिक आपातकालीन सहायता केंद्र करीब एक हजार स्वाबलम्बन केन्द्रों के साथ करीब तीन हजार विविध सामाजिक क्षेत्रों से जुडे प्रकल्पों का संचालन भी कर रही है। बजरंग दल करीब सात सौ गौशालाओं का संचालन कर रहा है। सैकड़ों गौशालाओं में पंचगव्य आदि गाय के गौ मूत्र से औषधियों को निर्माण होता है। इसमें करीब छह हजार पूर्णकालीक कार्यकर्ता है।

सतहत्तर हजार नगर ग्राम समितियाँ,साठ हजार बजरंग दल संयोजक,तीन हजार दुर्गा बाहिनी संयोजिकाएं तथा सात हजार मातृ शक्ति संयोजिकाएँ। सेवा भारती संगठन अकेले कन्याकुमारी जिले में ही तीन हजार से ज्यादा महिला स्वयं सहायता समूहों चला रहा है। देशभर में आरोग्य भारती के सक्रिय आरोग्य रक्षक जिनकी संख्या पांच हजार से भी ज्यादा हैं। अपने निजी चिकित्सा व्यवसाय के साथ-साथ सेवा के लिए पृथक से बिना वेतन के आपातकालीन चिकित्सा सहायता उपलब्ध करा रहे हैं। आरोग्य भारतीय भी सेवाभाव से सक्रिय है।

पौने दो लाख से ज्यादा प्रकल्प चला रही है। जहाँ अनेक प्रकार के सेवा कार्य किए जाते हैं।हिन्दुस्थान समाचार बहुभाषी न्यूज एजेंसी, दैनिक समाचार पत्र स्वदेश,साप्ताहिक पांचजन्य,संपादक संगम और राष्ट्रीय पत्रकारिता कल्याण न्यास जैसी संस्थाएँ एवं अन्य समाचार पत्र पत्रिकाएँ सकारात्मक विचारों के साथ कार्य कर रहे है। यह बिडंबना है कि संघ जैसे राष्ट्रवादी संगठन को सर्वाधिक हमले झेलने पड़े। खासतौर पर कथित सेक्युलर पार्टियों ने तो इसे फैशन बना लिया। उन्हें लगता था कि संघ का विरोध करने से उन्हें धर्मनिरपेक्ष मान लिया जाएगा। जबकि ऐसे लोग स्वयं छद्दम धर्मनिरपेक्षता के रास्ते पर चल रहे थे।

संघ पर झूठे आरोप लगा कर प्रतिबंध लगाए गए, नफरत का व्यवहार किया गया। जबकि हिंदुत्व के विचार को लेकर चलने वाले कभी साम्प्रदायिक नहीं हो सकते। यह शाश्वत जीवन शैली है। इसमें मानवतावाद, सहिष्णुता,विश्व कल्याण का विचार समाहित है। संविधान की मंशा और हिन्दुत्व के दर्शन में कोई विरोध नहीं है। संविधान की प्रस्तावना में हीं बंधुत्व की भावना का उल्लेख किया गया। यह शब्द हिंदुत्व की भावना के अनुरूप है। इस दर्शन में किसी सम्प्रदाय से अलगाव को मान्यता नहीं दी गई। संघ संपूर्ण समाज को अपना मानकर काम करता है। भाषा,जाति, धर्म, खान।पान में विविधता है। उनका उत्सव मनाने की आवश्यकता है। कुछ लोग विविधता की आड़ में समाज और देश को बांटने की कोशिश में जुटे रहते हैं। लेकिन संघ विविधता में भी एकत्व ढूंढने का काम करता है। हमारी संस्कृति का आचरण सद्भाव पर आधारित है।

यह हिंदुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत में रहने वाले इसाई और मुस्लिम परिवारों के भीतर भी यह भाव साफ देखा जा सकता है। संघ की स्थापना के असली उद्देश्य हिंदू समाज को जोड़ना था। किसी के विरोध में संघ की स्थापना नहीं कि की गई थी। संघ मजबूत भारत के निर्माण कार्य में समर्पित भाव से कार्य करता रहेगा। संघ के स्वयंसेवक करीब तीस हजार स्थानों पर राहत केंद्र चला रहे है। इसके माध्यम से जरूरतमंदों को फुड पैकेट,राशन,मास्क, सेनिटाइजेशन वितरित किये जा रहे है। इसके अलावा आरोग्य सुविधा, परिवहन, सफाई, रक्त दान, क्वारंटाइन सेंटर में मदद आदि कार्य कर रहे हैं। अब तक तीस लाख परिवारों को राहत पहुंचाई गई है। लॉकडाउन के ऐलान के बाद दिल्ली, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन होने पर संघ के कार्यकर्ताओं ने उनको परिवहन व भोजन की सुविधा प्रदान की।

ऐसे नौ लाख मजदूरों को स्वयं सेवकों ने भोजन प्रदान किया। सेवा भारती,राष्ट्र सेविका समिति,विद्या भारती, आरोग्य भारती,भारतीय मजदूर संघ,वनवासी कल्याण आश्रम,आरोग्य भारती,अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय किसान संघ, आरोग्य भारती, सीमा जन कल्याण समिति, सभी संगठनों के सदस्य भी राहत कार्यो का संचालन कर रहे है। विद्याभारतीय ने सैकड़ों स्कूल लोगों को क्वारंटाइन करने के लिए दिए हैं।

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