प्रतापगढ़। प्राथमिक विद्यालय सोनावां सदर प्रतापगढ़ में उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग एवं डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में “डिजिटल मानवाधिकार : उत्तर प्रदेश राज्य में उभरते आयाम एवं चुनौतियां” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विद्यालय के प्रधानाध्यापक राम सजन मौर्य की अध्यक्षता में संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ।
प्रोजेक्ट निदेशक व वक्ता डॉ अमनदीप सिंह ने कहा कि आज के आधुनिक युग में डिजिटल मानवाधिकारों का महत्व बहुत बढ़ गया है। डिजिटल इंडिया प्रोग्राम की कामयाबी के लिए प्रत्येक व्यक्ति का डिजिटल साक्षर होना आवश्यक हैं। इंटरनेट का उपयोग प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ रहा है। इंटरनेट मानवाधिकारों की प्राप्ति और आर्थिक विकास को गति देने के लिए एक अनिवार्य उपकरण बन गया है।
मुख्य वक्ता श्रीराम मूर्ति स्मारक यूनिवर्सिटी लखनऊ से आए डॉ देवेंद्र ने कहा कि आज के डिजिटल युग मे डिजिटल साक्षर होना आवश्यक हैं। भारत एक ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में तभी विकसित होगा जब प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से डिजिटल साक्षारता को बढ़ावा दिया जायेगा। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से आए वक्ता डॉ अनिल कुमार मौर्य ने कहा कि सूचना तक पहुंच और डिजिटल साक्षरता डिजिटल मानवाधिकारों के महत्वपूर्ण घटक हैं। लोगों के पास अपने अधिकारों का प्रयोग करने और समाज में पूरी तरह से भाग लेने के लिए डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने के लिए सूचना और साधन तक पहुंच होनी चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्यता इस बात पर जोर दिया गया कि डिजिटल युग में व्यक्तिगत अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए डिजिटल मानवाधिकार आवश्यक हैं। जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ रही है और डिजिटल उपकरणों और इंटरनेट पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है, यह महत्वपूर्ण है कि हम इन अधिकारों को बनाए रखने और उनकी रक्षा करने के लिए काम करें। उक्त कार्यक्रम में आस पास के लोग उपस्थित रहे।