लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सूर्यकान्त को इंडियन सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ़ लंग कैंसर (आई.एस.एस.एल.सी.) द्वारा सम्मानित किया गया है। आईएसएसएलसी भारत की एक मात्र संस्था है जो लंग कैसर से संबंधित शोध, जनजागरूकता एवं एडवोकेसी करती है। डा सूर्यकान्त को हाल ही जोधपुर में सम्पन्न हुई लंग कैंसर की राष्ट्रीय कांफ्रेंस-नेलकॉन में डा रेड्डी ओरेशन ऑन लंग कैंसर’’ से सम्मानित किया गया है।
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डा सूर्यकान्त को फेफड़े के कैंसर के क्षेत्र में उल्लेखनीय शोध, जनजागरूकता अभियान चलाने के लिए दिया गया। व्याख्यान में डा सूर्यकान्त ने टीबी और फेफड़े के कैंसर पर कहा कि इन दोनों बीमारियों के लक्षण आपस में मिलते-जुलते हैं, जिससे इन दोनों बीमारियों को सही से पहचानने में प्रायः गलती हो जाती है। इस वजह से लंग कैंसर के मरीजों को टीबी का मरीज समझ लिया जाता है। इसलिए इन बीमारियों का सही से इलाज करना चाहिए।
डा सूर्यकान्त का एक सूत्र वाक्य है, “जैसे हर चमकती हुई चीज सोना नहीं होती, वैसे ही एक्स-रे का हर धब्बा टीबी नहीं होती।” इस ओरेशन में डा सूर्यकान्त ने सभी को बताया कि टीबी और लंग कैंसर के मरीजों को कैसे पहचानें। उनके इस व्याख्यान से चिकित्सकों को टीबी और लंग कैंसर की बारीकियों को समझने में बड़ी मदद मिली। ज्ञात हो कि डा. सूर्यकान्त के लंग कैंसर पर दो किताबें, कई शोधपत्र और समाचारपत्रों में अनेक लेख प्रकाशित हो चुके हैं। डा सूर्यकान्त तंबाकू और धूम्रपान पर पूर्ण प्रतिबन्ध के लिए वर्ष 2018 से प्रतिवर्ष भारत के प्रधानमंत्री को पत्र लिख रहे हैं।
इसके अलावा फेफडे़ के कैंसर के क्षेत्र में डा सूर्यकान्त को हुकुम चन्द जैन मेमोरियल कैंसर एवार्ड, मसीहा कैंसर अवेयरनेस एवार्ड, डा लक्ष्मन कैंसर अवेयरनेस एण्ड रिसर्च एवार्ड, डा डीएम शर्मा-मधु शर्मा कैंसर एवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। डा सूर्यकान्त को विश्व के टॉप दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की श्रेणी में भी स्थान प्राप्त हुआ है।
डा सूर्यकान्त केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में 18 वर्ष से प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं एवं 11 वर्ष से विभागाध्यक्ष के पद पर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावा चिकित्सा विज्ञान सम्बंधित विषयों पर 19 किताबें भी लिख चुके हैं तथा एलर्जी, अस्थमा, टीबी एवं लंग कैंसर के क्षेत्र में उनके अब तक लगभग 700 शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय जनर्ल्स में प्रकाशित हो चुके हैं।
इसके साथ ही दो अंतर्राष्ट्रीय पेटेन्ट का भी उनके नाम श्रेय जाता है तथा लगभग 200 एमडी/पीएचडी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन, 50 से अधिक परियोजनाओं का निर्देशन, 20 फेलोशिप, 15 ओरेशन एवार्ड का भी श्रेय उनके नाम ही जाता है।
इससे पहले भी अमेरिकन कालेज ऑफ़ चेस्ट फिजिशियन, इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन, इण्डियन चेस्ट सोसाइटी, नेशनल कालेज ऑफ़ चेस्ट फिजिशियन आदि संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 20 फेलोशिप सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें उप्र सरकार द्वारा विज्ञान गौरव अवार्ड (विज्ञान के क्षेत्र में उप्र का सर्वोच्च पुरस्कार) और केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा एवं उप्र हिन्दी संस्थान से भी सम्मानित किया जा चुका है।
ज्ञात हो कि उन्हें अब तक अन्तरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा लगभग 173 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। डा सूर्यकान्त कोविड टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के ब्रांड एंबेसडर भी हैं। इसके साथ ही चेस्ट रोगों के विशेषज्ञों की राष्ट्रीय संस्थाओं इण्डियन चेस्ट सोसाइटी, इण्डियन कालेज आफ एलर्जी, अस्थमा एण्ड एप्लाइड इम्यूनोलाजी एवं नेशनल कालेज ऑफ़ चेस्ट फिजिशियन (एनसीसीपी) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं।
इण्डियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन के मेडिकल साइंस प्रभाग के भी राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके है। वह पिछले 25 वर्षों से अधिक समय से अपने लेखों व वार्ताओ एवं टीवी व रेडियो के माध्यम से लोगो में एलर्जी, अस्थमा, टीबी, कैंसर जैसी बीमारी से बचाव व उपचार के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं।