आज रात दुनिया भर में लोग अर्थ ऑवर मनाएंगे. धरती की सुरक्षा और इसकी बेहतरी के लिए हर साल मार्च के आखिरी शनिवार को अर्थ-ऑवर डे के रूप में मनाया जाता है. इस दिन रात 8:30 से 9:30 बजे तक दुनिया भर के लाखों लोग एक घंटे के लिए लाइट बंद करके धरती को बेहतर बनाने के लिए उनकी एकजुटता का संदेश देते हैं.
इसका उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के मुद्दों पर जागरूक करना और उसकी सुरक्षा में योगदान देने के लिए आगे लाना है. कोरोना महामारी के चलते इस साल इस आयोजन का महत्व और बढ़ गया है. 31 मार्च 2007 को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में पहली बार इसका आयोजन हुआ था. धीरे धीरे दुनिया भर में इस दिन को मनाया जाने लगा.
WWF ने साल 2007 में की थी शुरुआत
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) ने साल 2007 में अर्थ-ऑवर डे की शुरुआत की थी. अर्थ आवर संस्था के को-फाउंडर एंडी रिडले ने WWF के साथ मिलकर इस अभियान की शुरुआत की थी. 2008 में 35 देशों ने अर्थ आवर डे में हिस्सा लिया. इस साल 178 देशों में गैरजरूरी बत्तियां रात 8.30 से 9.30 बजे तक बंद कर दी जाएंगी यानि इस समय दुनियाभर में ब्लैक आउट हो जाएगा. कई लोग कैंडल जलाकर भी अर्थ आवर को सेलिब्रेट करते हैं. पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार WWF के इस वैश्विक अभियान की मदद से जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वर्मिंग जैसी समस्या से लड़ने में मदद मिलेगी.
भारत ने साल 2009 में मनाया पहला अर्थ आवर डे
भारत साल 2009 में इस अभियान का हिस्सा बना था. इसमें 58 शहरों के 50 लाख लोग शामिल हुए थे. साल 2010 में भारत के 128 शहरों के 70 लाख से ज्यादा लोग इस पहल में शामिल हुए थे. इसके बाद यह संख्या बढ़ती गई है. राजधानी दिल्ली में बिजली वितरण कंपनियों ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए अपने उपभोक्ताओं को जागरक करने का अभियान शुरू किया है.
कई ऐतिहासिक इमारतों की लाइटें भी हो जातीं हैं बंद
अर्थ-ऑवर डे पर दुनिया भर की कई ऐतिहासिक इमारतों की लाइटें भी बंद हो जाती हैं. इनमें न्यूयॉर्क की एम्पायर स्टेट बिल्डिंग, दुबई का बुर्ज खलीफा, पेरिस स्थित एफिल टॉवर और एथेंस में एक्रोपोलिस समेत 24 विश्व प्रसिद्ध स्थल शामिल हैं. भारत में अर्थ ऑवर के दौरान राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और इंडिया गेट समेत कई एतिहासिक इमारतों में लाइटें बंद की जाती रही हैं.