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देश को नई दिशा देगी शिक्षा नीति : राज्यपाल

राज्यपाल व कुलाधिपति आनन्दी बेन पटेल ने पहले भी नई शिक्षा नीति को सराहनीय बताया था। वह स्वयं शिक्षिका चुकी है। समाज सेवा में आने के बाद भी उनका शिक्षा के प्रति लगाव कम नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल का पद ग्रहण करने के बाद वह सबसे पहले बच्चों के स्कूल में गई थी।

कुछ दिन पहले राजभवन में उन्होंने एक पुस्तक का विमोचन बच्चों से कराया था। कोरोना से पहले राजभवन में बच्चों के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गए थे। कुलाधिपति के रूप में भी वह उच्च शिक्षा में सुधार हेतु सजग व सक्रिय रहती है। एक बार फिर उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति इक्कीसवीं सदी के भारत को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। नई शिक्षा नीति से भारतीय शिक्षा तंत्र अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के करीब पहुंचेगा।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने द एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज ऑफ इण्डिया एसोचैम नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर आयोजित वेबिनार को संबोधित किया। कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके क्रियान्वयन के लिए टास्क फोर्स का गठन कर लिया है। जो प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए रोड मैप तैयार करेगी। इससे राज्य शिक्षा प्रणाली में और सुधार होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य अच्छे नागरिक बनाना है। शिक्षा से हर वर्ग को अपेक्षाएं हैं। सभी को अच्छे स्कूल में अच्छी गुणवत्तायुक्त और कौशल सिखाने वाली शिक्षा चाहिए। सभी को ऐसी शिक्षा चाहिए जो जीविकोपार्जन से जोड़े और व्यक्तित्व में आत्मविश्वास उत्पन्न करे।

उन्होंने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। इसमें प्राथमिक शिक्षा पर जोर दिया गया है। बुनियादी शिक्षा ही बच्चे के भावी जीवन की आधारशिला होती है। इसमें मातृभाषा में अध्ययन को महत्व दिया गया है। इससे बाल मन सहजता से पुष्पित और पल्लवित हो सकेगा। इस नीति को नैतिकता,मानवीय मूल्यों तथा संवैधानिक अपेक्षाओं महत्व दिया गया। बच्चों में यह भावना का विकास होगा। जिससे वह अच्छे नागरिक बन सकेंगे। यह नीति कौशल आधारित समझ और रोजगारपरकता को लेकर बहुत गम्भीर है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य अच्छे नागरिक बनाना है। शिक्षा से हर वर्ग को अपेक्षाएं हैं। सभी को अच्छे स्कूल में अच्छी गुणवत्तायुक्त और कौशल सिखाने वाली शिक्षा चाहिए। जिससे जीविकोपार्जन के साथ ही व्यक्तित्व में आत्मविश्वास का भी विकास हो सके।

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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