Breaking News

RTI का असर : आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा के प्रयासों के बाद सूचना आयोग ने सार्वजनिक किये वार्षिक प्रतिवेदन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के गठन की अधिसूचना साल 2005 के दिसम्बर महीने की 14 तारीख़ को जारी हुई थी. राज्य के प्रथम मुख्य सूचना आयुक्त न्यायमूर्ति एमए खान द्वारा 22 मार्च 2006 को पदभार ग्रहण करने के बाद 20 जून 2006 से सूचना आयोग ने कार्य करना आरम्भ कर दिया था.

RTI का असर : सूचना आयोग ने सार्वजनिक किये वार्षिक प्रतिवेदन

यूपी में सूचना आयोग का गठन कराने के लिए किये गए संघर्ष में मैगसेसे पुरस्कार विजेता अरविन्द केजरीवाल और डा. संदीप पाण्डेय के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर काम करने वाली लखनऊ निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा सूचना आयोग के गठन के बाद से ही सूचना आयोग की कार्यप्रणाली को आम जन के प्रति और अधिक जवाबदेह तथा पारदर्शी बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत रही हैं. इस क्रम में उर्वशी धरने,प्रदर्शन,राज्यपालों से भेंटवार्ताएं, हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर करने के साथ-साथ पत्राचार में निरंतर रत रहती हैं. इसी क्रम में अच्छी खबर यह है कि एक्टिविस्ट उर्वशी के प्रयासों के बाद सूबे के सूचना आयोग ने दो वर्षों के वार्षिक प्रतिवेदन सार्वजनिक कर दिए हैं.

आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा

उर्वशी बताती हैं कि सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 25 मानीटर करने और रिपोर्ट करने के सम्बन्ध में है. इस धारा के तहत सूचना आयोग को बीते वित्तीय वर्ष में सूबे में सूचना कानून के कार्यान्वयन के सम्बन्ध में एक रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजनी होती है. इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए सूचना आयोग सूबे के प्रत्येक मंत्रालय और विभाग से सूचना लेकर उसे संकलित करता है.

इस रिपोर्ट में सूचना मांगे जाने के मामलों की संख्या,सूचना देने से मना करने के मामलों की संख्या, सूचना आयोग में की गई अपीलों की संख्या और उनके निष्कर्ष, अधिकारियों के विरुद्ध की गई अनुशासनिक कार्यवाहियों की विशिष्टियां, लोक प्राधिकारियों द्वारा एकत्र की गई रकम, एक्ट की भावना को प्रसारित करने के लिए लोक प्राधिकारियों द्वारा किये गए प्रयासों,सुधार की सिफारिशों जैसे मामलों का विवरण होता है. तैयार होने के बाद यह रिपोर्ट विधान मंडल के दोनों सदनों के समक्ष रखी जाती है जिसके बाद इसे आम जनता के लिए सार्वजनिक किया जाता है.

उर्वशी ने बताया कि आरम्भ के वर्षों में ये रिपोर्टें तैयार ही नहीं की गईं. उनकी अगुआई में बार-बार मुद्दा उठाने के बाद सूचना आयोग ने ये रिपोर्टें तैयार करना आरम्भ किया किन्तु इनको आम जन के लिए सार्वजनिक नहीं किया जाता था. बकौल उर्वशी उनके द्वारा लम्बे समय तक लगातार प्रयास करने के बाद अब सूचना आयोग ने वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 के वार्षिक प्रतिवेदन सार्वजनिक किये हैं. वार्षिक प्रतिवेदनों को सार्वजनिक करने के लिए उर्वशी ने मुख्य सूचना आयुक्त भवेश कुमार सिंह को सार्वजनिक धन्यवाद ज्ञापित किया है.

बकौल उर्वशी, सूचना आयोग द्वारा तैयार किये गए ये प्रतिवेदन अभी कई बिन्दुओं पर अपूर्ण है अतः आगामी वार्षिक प्रतिवेदनों को सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 25 की मूल मंशा के अनुरूप बनाने के लिए वे शीघ्र ही मुख्य सूचना आयुक्त को अपना सुझावात्मक पत्र प्रेषित करेंगी.

About reporter

Check Also

पाकिस्तान: भ्रष्टाचार केस में शहबाज शरीफ और बेटे हमजा को राहत, अदालत ने किया बरी

लाहौर: पाकिस्तान की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके बेटे हमजा शहबाज ...