जिन दलों को सूची से हटाया गया है उनमें 52 दिल्ली से तो 41 ने उत्तर प्रदेश के पते से अपना पंजीकरण करा रखा था। इन दलों ने न तो बीते दस सालों में किसी चुनाव में भागीदारी की और न ही अपना वित्तीय लेखा-जोखा ही आयोग को दिया है। चूंकि इन दलों के पंजीकरण में दर्ज पते भी अब फर्जी पाए गए हैं। ऐसे में संदेह है कि सियासी दल होने की आड़ में इन्होंने नोटबंदी के दौरान कालेधन को सफेद करने का खेल किया हो।
आयोग के सूत्रों ने बताया कि चूंकि उसके समक्ष किसी भी दल का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार नहीं है। ऐसे में उसने संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए ऐसे दलों को असूचीबद्ध कर दिया है। गौरतलब है कि आयोग अरसे से दलों के पंजीकरण रद्द करने का अधिकार देने की मांग करता रहा है। हालांकि आयेग का इस आशय का प्रस्ताव अब तक कानून मंत्रालय के पास लंबित है।