लखनऊ। ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में एमए अंतिम वर्ष और बीए अंतिम वर्ष के लिए विदाई समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर फखरे आलम ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में एमए और बीए अंतिम वर्ष के छात्रों एवं छात्राओं के बेहतर और उज्ज्वल भविष्य की आशा व्यक्त की और कहा कि ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया जीवन भर जारी रहती है। और एक जागरूक विद्यार्थी वह है जो न केवल इस रिश्ते को कायम रखता है बल्कि जीवन के विभिन्न कालखंडों और चरणों में आवश्यकता अनुसार इसका पर्याप्त उपयोग भी करता है।
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प्रोफेसर फखर आलम ने कहा कि हर इंसान में कुछ क्षमताएं होती हैं जो उसे अद्वितीय बनाती हैं और शिक्षा उसे इस विशिष्टता की खोज करने और जीवन में अपनी क्षमता का उपयोग करने की जागरूकता प्रदान करती है।
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इस अवसर पर प्रोफेसर सोबान सईद ने एमए फाइनल के विद्यार्थियों को विशेष रूप से संबोधित करते हुए कहा कि अब वे शैक्षणिक जीवन के उस चरण में प्रवेश कर रहे हैं। जहां उचित निर्णय की आवश्यकता है, क्योंकि यह भविष्य आधारित निर्णय न केवल आपके करियर पथ को प्रभावित करेगा बल्कि व्यावहारिक जीवन में समस्याओं का भी समाधान करेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि हम यहां से जाने वाले छात्रों से उम्मीद करते हैं कि वे जहां भी जाएंगे, संस्थान के नाम के साथ अपना नाम भी लेकर जाएंगे। इस कार्यक्रम में एमए और बीए अंतिम वर्ष के छात्रों ने अपने विचार रखे। इन छात्रों ने विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में अपने अनुभवों का जिक्र किया और कहा कि यहां बिताया गया उनका समय जीवन की ऐसी मूल्यवान पूंजी है जो उन्हें जीवन भर धन की अनुभूति से जोड़े रखेगा।
इन छात्रों ने यह भी कहा कि यहां के शिक्षकों के माध्यम से उन्हें भाषा और साहित्य का जो ज्ञान और समझ प्राप्त हुई है, उससे उन्हें जीवन का ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
एमए अंतिम वर्ष के छात्रों ने विश्वविद्यालय और उर्दू विभाग के शिक्षकों को उनके प्यार और करुणा के लिए धन्यवाद दिया, जिन्होंने उन्हें हर कदम पर प्रोत्साहित किया और ज्ञान की खोज में उनका मार्गदर्शन किया।
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बीए अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों ने भी शिक्षकों के प्रति अपनी सराहना और कृतज्ञता व्यक्त की और इन विद्यार्थियों ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि जिस प्रकार का शैक्षिक माहौल हमें यहां मिला उसे हम जीवन भर नहीं भूल पाएंगे और साथ ही यहां भाषा और साहित्य की बारीकियों को समझ पैदा हुई।
सैयदा फातिमा ज़हरा, आकेफा खातून, मुहम्मद शाहान और मुहम्मद हारून ने प्रमुख और प्रसिद्ध उर्दू कवियों की कविताओं और ग़ज़लों का पाठ किया और कार्यक्रम को दिलचस्प बना दिया। एमए अंतिम वर्ष के छात्र अब्दुल नईम ने अपनी रची हुई ग़ज़ल और विदाई कविता के रूप में सुनाया, जिसे खूब सराहा गया।
इस कार्यक्रम का आयोजन अब्दुल कादिर ने किया था। मुहम्मद आफताब ने शिक्षकों और छात्रों को धन्यवाद दिया। इस विदाई समारोह में डॉ अकमल शादाब, डॉ वसी अहमद अंसारी, डॉ ज़फरुल नकी, डॉ मुनव्वर हुसैन, डॉ मूसी रजा और डॉ सिद्धार्थ सुदीप ने भाग लिया और छात्रों का उत्साहवर्धन किया।