बीते मंगलवार को देश की राजधानी गणतंत्र दिवस के जश्न के बीच हिंसक प्रदर्शनों की गवाह बनी. नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा भड़की. हालांकि, इन घटनाओं के बाच करीब 2 महीनों से जारी आंदोलन कुछ कमजोर तो पड़ा है, लेकिन किसानों ने साफ कर दिया है कि केंद्र के कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर उनका विरोध जारी रहेगा. यही नहीं उन्होंने कहा कि बजट के दिन संसद तक होने वाली मार्च का कार्यक्रम भी यथावत रहेगा.
राजधानी दिल्ली में कई जगहों पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुईं, जिनकी वजह से राजधानी के कई इलाकों में हंगामा हो गया. हिंसा का यह दौर लगभग पूरे दिन चला. माना जा रहा है कि इस हिंसा की वजह से किसानों का आंदोलन कमजोर पड़ गया है. वहीं, सरकार भी 26 जनवरी को हुईं इन घटनाओं को लेकर किसानों से जल्द ही सवाल करेगी.
बुधवार को दिल्ली पुलिस ने बताया कि बीते दिन रैली के दौरान हिंसा को लेकर 22 एफआईआर दर्ज की गईं हैं. वहीं, इंद्रप्रस्थ पुलिस ने भी अज्ञात प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. इन प्रदर्शनकारियों में ट्रैक्टर चढ़ने की वजह से जान गंवाने वाले किसान का नाम भी शामिल है. यह जानकारी पुलिस की तरफ से मिली है. इन घटनाओं के बाद अब सरकार और प्रशासन भी एक्शन मोड में नजर आ रहा है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं. मंगलवार को हुई इस बैठक में गृहसचिव अजय भल्ला, दिल्ली पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव शामिल थे. समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में संवेदनशील जगहों पर 1500 से 2000 पैरामिलिट्री जवानों को तैनात करने के लिए लाया जाएगा.
आंदोलन में शामिल ज्यादातर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के हैं. ये सभी तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं. हालांकि, इन मुद्दों को लेकर सरकार और किसानों के बीच 10 बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है. वहीं, सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर किसान 1.5 साल वाले प्रस्ताव पर बात करने के लिए आगे आते हैं, तो ही चर्चा होगी.